उत्तराखंड

Exclusive: सशस्‍त्र बलों में बेहतर तालमेल के लिए हो सकती है संयुक्‍त ट्रेनिंग

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अमृता नायक दत्‍ता
नई दिल्‍ली.
रक्षा विशेषज्ञों (Defence Experts) की एक समिति ने अपने अध्ययन में सशस्त्र बलों (Armed Forces) के प्रशिक्षण के लिए एक सामान्य ट्रेनिंग (Common Training) और संयुक्‍त अभ्‍यास (Joint Drills) की सिफारिश की है. इसमें जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) और अन्य तीनों सेवाएं भी शामिल हैं. अधिकारियों ने न्‍यूज18 डॉट कॉम को बताया कि इस कदम का मुख्‍य उद्देश्‍य सेना, नौसेना और भारतीय वायुसेना के जवानों की ट्रेनिंग में एकीकरण लाना है.

लेकिन ऐसे संकेत हैं कि इस प्रणाली को लागू करने में कम से कम तीन साल लगेंगे, जिसमें चार कमांडर-इन-चीफ संरचनाओं पर काम कर रहे हैं. रक्षा प्रतिष्ठान का ध्यान कम से कम प्रशिक्षण और रसद के क्षेत्रों में तीन बलों के बीच तालमेल बढ़ाने पर है.

क्‍यों जरूरी है ये कदम?
चूंकि तीनों सेवाओं की विशेष भूमिकाएं हैं, ऐसे में एक सामान्य सैन्य उद्देश्य के लिए संयुक्त प्रशिक्षण को महत्वपूर्ण माना जाता है. मौजूदा समय में तीनों सेवाओं के कैडेट नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) में बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण प्राप्‍त करते हैं. वे कुल छह सेमेस्टर में से अंतिम दो में सेवा-विशिष्ट विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं.

अधिकारियों के रूप में कमीशन प्राप्त करने के बाद अगली बार जब वे एक साथ प्रशिक्षण लेते हैं तो वे डिफेंस सर्विसेज स्‍टाफ कॉलेज में होते हैं. उस दौरान उन्हें मेजर/लेफ्टिनेंट कर्नल और समकक्ष स्तर पर पदोन्नत किया जाता है. कमीशन के बाद इसमें 10-12 साल या उससे भी अधिक का समय लग सकता है.

एक वरिष्ठ सेवा अधिकारी ने कहा, ‘उच्च कमान कोर्स या स्टाफ कॉलेज कोर्स वैचारिक कोर्स हैं. सेना के स्तर पर प्रशिक्षण की कमी है. अधिकारी का कहना है, ‘तीनों रक्षा सेवाओं के रैंक और फाइल के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग के लिए एक उन्नत संयुक्त ट्रेनिंग आवश्यक है.’

उन्होंने कहा कि जेसीओ और सेना में अन्य रैंकों के संयुक्त प्रशिक्षण का प्रस्ताव उनके समकक्षों के साथ अन्य सेवाओं में इस खालीपन को भरने में मदद करेगा. उनके अनुसार एक संयुक्त प्रशिक्षण सिद्धांत की जरूरत है क्योंकि यह एक सामान्य नीति तैयार करेगा और विभिन्न अभियानों में तीनों सेवाओं के सैनिक कैसे कार्य कर सकते हैं, इसकी संकल्‍पना और प्रशिक्षण पद्धतियां निर्धारित करेगा.

एक दूसरे रक्षा अधिकारी ने न्‍यूज18 डॉट कॉम को बताया कि यह जरूरी है कि प्रशिक्षण में संयुक्तता या एकीकरण सिर्फ प्रशिक्षण संस्थानों में ही नहीं बल्कि मैदान पर भी हासिल की जाए. यह महत्वपूर्ण है ताकि इन संस्थानों में तैयार की गई रणनीति का परीक्षण किया जा सके और प्रभावशीलता के लिए उसे मान्य किया जा सके.

कैसे किया गया अध्ययन
तीन सेवाओं के प्रशिक्षण में एकीकरण को बढ़ाने के लिए यह अध्ययन पिछले साल अक्टूबर में शुरू किया गया था. 35 साल पहले 1986 में इस विषय पर एक और अध्ययन किया गया था. कमेटी ऑफ एक्‍सपर्ट्स (सीओई) ने हाल ही में अध्ययन किया था जिसमें शिमला में आर्मी ट्रेनिंग कमान (एआरटीआरएसी), बेंगलुरु में आईएएफ ट्रेनिंग कमान और नौसेना के कोच्चि स्थित दक्षिणी नौसेना कमान के शीर्ष अधिकारी शामिल थे.

इस सीओई ने नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी), आर्म्‍ड फोर्सेज ट्रेनिंग इंस्‍टीट्यूशंस (एएफटीआई), और महू, गोवा और सिकंदराबाद स्थित वॉर कॉलेज जैसे तीनों सेवाओं के प्रशिक्षण संस्थानों के कामकाज की जांच और समीक्षा की. इस साल फरवरी में चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) को अध्ययन के प्रमुख पहलुओं को पेश करने से पहले सीओई सदस्यों ने सभी संयुक्त प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों का दौरा किया और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया. इसने प्रशिक्षण के माध्यम से संयुक्तता या एकीकरण बढ़ाने पर नजर रखते हुए रूपरेखा, प्रक्रियाओं और कोर्स में बदलाव की सिफारिश की.

अन्‍य सुझाव
सूत्रों के अनुसार समिति की एक सिफारिश रक्षा संस्थानों में सिद्धांत और ऑन-फील्ड प्रशिक्षण के बीच उचित संतुलन सुनिश्चित करने और प्रशिक्षण के नतीजों पर अधिकारियों और कैडेट के मूल्यांकन के लिए थी. समिति ने सुझाव दिया कि संयुक्त पीएमईटी के लिए एक विजन और मार्गदर्शन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और सीओएससी द्वारा दिया जाना चाहिए. यह प्रशिक्षण सशस्त्र बलों के अधिकारियों की महत्वपूर्ण सोच क्षमताओं को मजबूत करने पर केंद्रित होना चाहिए.

अध्ययन ने यह भी सिफारिश की कि संयुक्त अभियान और युद्ध लड़ने के लिए अलग स्कूल होना चाहिए और मौजूदा सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों के तहत डिपार्टमेंट ऑफ लीडरशिप एंड बिहेवेरियल स्‍टडीज होना चाहिए. साथ ही अन्‍य योजनाओं को पूरा किया जाना चाहिए. जैसे गुरुग्राम में इंडियन डिफेंस यूनिवर्सिटी का 2013 में शिलान्‍यास हुआ था, लेकिन वो अ‍भी तक नहीं खुली है.

सीओई ने सेवाओं के बीच एकीकरण बढ़ाने के लिए नए संयुक्त प्रशिक्षण सेवा संस्थान (जेएसटीआई) स्थापित करने की सिफारिश की. सूत्रों ने कहा कि इं‍टीग्रेटेड डिफेंस स्‍टाफ हेडक्‍वार्टर ने इन क्षेत्रों में अफसरों के संयुक्त रूप से प्रशिक्षण के लिए पहले से ही जेएसटीआई स्‍थापित किए हैं. इनमें सैन्य कानून, खुफिया, परमाणु जैविक रासायनिक युद्ध (सीबीआरएन), और संगीत व खानपान सहित कई जेएसटीआई शामिल हैं.

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