यह 15 हजार फ्लैट बॉयर्स भी है सुपरटेक बिल्डर से पीड़ित, जानिए इनकी परेशानी
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नोएडा. ऐसा नहीं है कि सुपरटेक (Supertech) की एमरॉल्ड सोसाइटी में रहने वाले ही बिल्डर से परेशान है. सुपरटेक कंपनी की तीन और ऐसी सोसाइटी है जिसके 15 हजार से ज्यादा फ्लैट बॉयर्स परेशान घूम रहे हैं. तीन बैठकें होने के बाद ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) भी उनकी समस्या का समाधान कराने में नाकाम साबित हुई है. 90 और बहुत सारे केस में 100 फीसद तक फ्लैट का पैसा देने के बाद भी बॉयर्स को अभी तक रजिस्ट्री नहीं मिली है. फ्लैट बॉयर्स (Flat Buyers) की एसोसिएशन नेफोमा (Nefoma) और नेफोवा (Nefowa) लगातार इस मुद्दे को अथॉरिटी और बिल्डर के सामने उठा रही है, लेकिन समस्या जस की तस है.
इकोविलेज में रजिस्ट्री के लिए सड़क पर आए 15 हजार फ्लैट मालिक
इकोविलेज 1 में रहने वाले और नेफोवा के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट मनीष कुमार ने बताया, “फ्लैट बुक कराने के करीब 7-8 साल बाद तो बिल्डर ने प्रोजेक्ट तैयार किए. उस पर भी जब हमे 4-5 साल पहले फ्लैट पर कब्जा मिला तो उसकी अभी तक रजिस्ट्री नहीं हुई है. जब भी बिल्डर से रजिस्ट्री की बात करो तो वो टाल जाता है.
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी भी इस मामले में हमारी कोई मदद नहीं कर रही है. अथॉरिटी का कहना है कि जब तक बिल्डर अथॉरिटी का बकाया नहीं चुकाएगा रजिस्ट्री नहीं हो सकती है. लेकिन सही बात तो यह है कि बकाया वसूलने के लिए अथॉरिटी सख्त कदम भी नहीं उठाती है.”
बेनतीजा रहीं बिल्डर, अथॉरिटी और फ्लैट बॉयर्स की तीन बैठकें
हाल ही में एक बार फिर इकोविलेज 1, 2 और 3 के पीड़ित फ्लैट बॉयर्स ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के कैम्प ऑफिस के सामने प्रदर्शन किया था. इसके बाद तय हुआ कि अथॉरिटी बिल्डर और फ्लैट बॉयर्स को संग बैठाकर परेशानी का हल निकालने की कोशिश करेगी. हुआ भी ऐसा ही है. तीन अलग-अलग तारीखों में अथॉरिटी ने इकोविलेज 1, 2 और 3 के पीड़ित फ्लैट बॉयर्स की अपनी मौजूदगी में और अपने ही दफ्तर में बैठकें आयोजित कराईं. इस बैठक में कई सियासी लोग भी शामिल हुए. लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा.
हाउस रेंट और ईएमआई दोनों दे रहे हैं फ्लैट मालिक
इकोविलेज 2 के मिहिर गौतम का कहना है, “सही बात तो यह है कि हमारी परेशानी को कोई नहीं समझ रहा है. बिल्डर हमे हर बार टाल देता है और अथॉरिटी कोई कार्रवाई करती नहीं है. यही वजह है कि आपने कभी ऐसे फ्लैट मालिक नहीं देखे होंगे जो हाउस रेंट भी दे रहे हों और बैक की ईएमआई भी चुका रहे हों.”
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