उत्तराखंड

बेंगलुरू: 1 करोड़ में बिका ये सांड, 1 हजार में बिकता है इसके स्पर्म का डोज, जानें क्यों है इतना खास

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बैंगलोर:  बैंगलोर में 11 नवंबर को चार दिवसीय कृषि मेले (Krishi Mela 2021) का आयोजन किया गया. आज मेले के आखिरी दिन कृष्णा सांड (Krishna bull) चर्चा में बना रहा. कृष्णा को देखने और खरीदारों की भीड़ उमड़ी रही. साढे़ तीन साल का यह सांड, सांड खरीदरों की पहली पसंद बना रहा. सांड मालिक बोरेगौड़ा ने बताया कि यह हल्लीकर नस्ल का सांड है. इस कृषि मेले को काफी अत्याधुनिक तरीके से आयोजित किया गया था. लोग इसमें शारिरिक और वर्चुअली दोनों तरह से भाग ले सकते थे.

बैंगलोर मे यह मेला चार दिनों के लिए आयोजित किया गया था. यह कृषि मेला हर साल किसी न किसी वजह से चर्चा में बना रहता है. इस  बार कृष्णा सांड लोगों का प्रमुख आकर्षण केंद्र रहा. सांड मालिक ने बताया कि हल्लीकर नस्ल के सांड  के स्पर्म यानी वीर्य की काफी ज्यादा डिमांड होती है. उन्होंने कहा कि वह इसके वीर्य की एक डोज 1 हजार रुपये में बेचते हैं. बोरेगौड़ा ने कहा कि हल्लीकर नस्ल के जितने भी मवेशी होते हैं वे ए2 प्रटोन वाले दूध के लिए जाने जाते हैं. सांड मालिक ने बताया कि अब यह प्रजाति धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है. कृष्णा सांड को खरीदने के लिए व्यापारियों ने हजार, लाख नहीं करोड़ रुपये तक की बोली लगाई. सांड मालिक ने बताया कि मेले में एक खरीदार ने कृष्णा सांड को 1 करोड़ रुपये में खरीदा.

कृष्णा की बोली की खुशी सांड मालिक के चेहरे पर साफ तौर पर देखी जा सकती थी. बोरेगौड़ा ने कहा कृष्णा की उम्र भले ही साढे़ तीन साल की है लेकिन इसने अपने से बड़े उम्र के सांडों को पीछे छोड़ दिया. बोरे गौड़ा के मुताबिक यहां लगने वाले मेले में सामान्य तौर पर 1 से 2 लाख के बीच में ही सांड बिकते हैं. इतनी बड़ी बोली सांड के लिए कभी नहीं लगी. उन्होंने बताया कि इस नस्ल के सांड की खासियत होती है कि उनका वजन 800 से 1000 किलोग्राम तक होता हैत और 6.5 फीट से लेकर 8 फीट तक की होती है.

आदिवासी महिला किसान ने किया उद्घाटन
आपको बता कि चार दिवसीय मेले के आयोजन के पहले दिन गुरुवार को करीब 60,000 से अधिक लोग यहां पहुंचे थे और दूसरे दिन यह संख्या 1 लाख 10 हजार के करीब पहुंच गई थी. इस मेले का आयोजन बैंगलोर के जीकेवीके परिसर में किया गया था. मेले का उद्घाटन पहले सीएम बसवराज बोम्मई से कराने की चर्चा थी लेकिन किसी कारण से वह यहां नहीं पहुंच सके तो उनकी अनुपस्थिति में आदिवासी महिला किसान प्रेमदासप्पा ने मेले का उद्घाटन किया.

550 से अधिक लगाए गए थे स्टॉल
मेले मे भाग लेने के लिए करीब 12 हजार से अधिक किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया था जबकि वहीं कई अन्य ने मेले में पहुंचकर अपना रजिस्ट्रेशन कराया. मेले में पशु, मुर्गी पालन, समुद्री खेती के अलावा खेती में पारंपरिक, स्थानिक और संकर फसल किस्मों, प्रौद्योगिकियों और मशीनरी उपकरणों को प्रदर्शित करने वाले 550 स्टॉल भी लगाए गए थे.

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