इस बार महंगी वाली दीपावली: पटाखों पर भी महंगाई की मार, 20 फीसद तक बढ़े दाम
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Crackers Price Up: पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष पटाखों की कीमतों में वृद्धि हुई है. (News 18 Hindi Graphics)
Costlier Diwali: कोरोना वयरस संक्रमण के चलते फैली वैश्विक महामारी का असर रोशनी के त्योहार दीपावली पर भी देखा जा रहा है. इस बार आतिशबाजी करना काफी महंगा साबित हो सकता है. पटाखों की कीमत में वृद्धि के कारण डीलर के साथ ही खरीदार भी परेशान हैं. पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष पटाखों पर ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है. इससे दुकानदार के माथों पर भी शिकन हैं. पटाखों का बाजार मंदा होने का असर खुदरा विक्रेताओं पर भी पड़ने की संभावना है.
रांची. रोशनी के त्योहार दीपावली में अब कुछ ही दिन शेष हैं. ऐसे में लोग पटाखों की खरीदारी करने में जुटे हैं, लेकिन इस बार दिवाली पर आतिशबाजी करना काफी महंगा पड़ सकता है. पटाखे खरीदने के लिए पिछले साल के मुकाबले इस बार ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी. इससे न केवल खरीदार, बल्कि थोक से लेकर खुदरा विक्रेता तक परेशानी में हैं. कीमत बढ़ने से पटाखों की खरीदारी में कमी आ सकती है. लोग अपनी जेब के हिसाब से ही पटाखे खरीदने में सक्षम होंगे. लिहाजा, पटाखों का बाजार मंदा भी रह सकता है. बता दें कि दीपावली के मौके पर देशभर में जमकर आतिशबाजी की जाती है. इस बार दिवाली पर भी कोरोना वायरस का असर पड़ता दिख रहा है.
कोविड-19 महामारी के साथ ही अन्य वजहों से इस बार पटाखे काफी महंगे हो गए हैं. बड़े-बड़े डीलर इसे महसूस भी कर रहे हैं. पटाखा डीलरों की मनें तो पिछले साल के मुकाबले इस बार पटाखे की कीमतों में तकरीबन 20 फीसद तक का उछाल है. वे कोरोना वायरस के चलते लगाए गए प्रतिबंधों और ईंधन की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि को मुख्य वजह मानते हैं. डीजल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ने के कारण ढुलाई काफी महंगा हो गया है. इसका असर सीधे तौर पर उत्पादों पर पड़ रहा है. वहीं, कोरोना प्रोटोकॉल के तहत पटाखा फैक्ट्रियों में कामकाज का तरीका व्यापक पैमाने पर प्रभावित हुआ है.
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गौरतलब है कि तमिलनाडु स्थित शिवकाशी पटाखा उत्पादन का हब है. यहां पटाखा की दर्जनों तादाद में फैक्ट्रियां हैं. यहां से देश के कोने-कोने में पटाखों की आपूर्ति करते हैं. पटाखा डीलर बताते हैं कोविड-19 प्रोटोकॉल की वजह से यहां की फैक्ट्रियों का कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. फैक्ट्री में प्रोटोकॉल के सख्त मानकों के अनुसार ही मजदूरों को आने की अनुमति दी जाती है. इसका सीधा असर पटाखों के उत्पादन पर पड़ता है. साथ ही सुरक्षा के अन्य मानकों को लागू करने का खर्च जुड़ने से लागत भी बढ़ गई है. लिहाजा, इस बार पटाखे की कीमतों में वृद्धि देखी जा रही है.
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