ट्विटर इंडिया स्वतंत्र इकाई, मूल कंपनी की हिस्सेदारी नहीं : एमडी ट्विटर इंडिया
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न्यायाधीश जी नरेन्द्र इस मामले में शुक्रवार को फैसला सुना सकते हैं. न्यायाधीश ने यह जानना चाहा कि क्या अमेरिकी कंपनी ट्विटर को मूल कंपनी कहा जा सकता है, महेश्वरी के वकील सी वी नागेश ने कहा, ‘‘ट्विटर इंक मूल कंपनी है. हमारा वास्तव में उससे (ट्विटर इंक) कुछ भी लेना-देना नहीं है.’’ वकील ने कहा, ‘‘ट्विटर इंडिया एक स्वतंत्र संगठन है और स्वतंत्र संस्थान है. जब न्यायाधीश ने ट्विटर इंडिया के प्रवर्तकों और शेयरधारिता के बारे में पूछा, नागेश ने कहा कि ट्विटर इंडिया केवल ट्विटर इंक से सम्बद्ध है.
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इस पर न्यायाधीश ने कहा कि जुड़ी हुई कंपनी जैसी कोई चीज नहीं है. सामान्य रूप से शेयरधारिता और कंपनी के गठन के नियमों के तहत उसे अनुषंगी या संबद्ध कंपनी कहा जाता है. तब वकील ने कहा, ‘‘…वास्तव में ट्विटर यूएसए (इंक) का ट्विटर इंडिया में एक भी शेयर नहीं है. इसीलिए मैंने यह कहा कि यह पूर्ण रूप से अलग कंपनी है.’’ गाजियाबाद पुलिस की तरफ से मौजूद अधिवक्ता पी प्रसन्ना कुमार ने कहा कि ट्विटर इंक को इस कथन का परिणाम भुगतना होगा कि उन्हें नहीं पता कि ट्विटर इंडिया कौन है.
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कुमार ने कहा, ‘‘मेरे पास जो जानकारी उपलब्ध है, कंपनी के 99 प्रतिशत शेयर ट्विटर इंक के पास हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के सभी सहयोगी आज तक ट्विटर इंडिया के साथ-साथ ट्विटर इंक का केंद्र सरकार की एजेंसियों के सामने प्रतिनिधित्व करते रहे हैं.’’ दलीलों के दौरान नागेश ने शुक्रवार को रिकार्ड पेश करने की अनुमति देने का आग्रह किया जिससे पता चल जाएगा कि ट्विटर यूएसए शेयरधारक नहीं है. शेयरधारिता प्रतिरूप के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि ट्विटर इंटरनेशनल कंपनी का मुख्यालय आयरलैंड में हैं. उसके पास 9,999 शेयर हैं जबकि ट्विटर नीदरलैंड के पास एक शेयर है. हालांकि मंच के संचालन का जिम्मा ट्विटर इंक के पास है.
उल्लेखनीय है कि गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) पुलिस ने 21 जून को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी कर महेश्वरी को 24 जून को सुबह 10:30 बजे लोनी बॉर्डर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने को कहा था. इसके बाद उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया क्योंकि वह कर्नाटक के बेंगलुरु में रहते हैं. उच्च न्यायालय ने 24 जून को एक अंतरिम आदेश में गाजियाबाद पुलिस को महेश्वरी के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई को लेकर रोक दी. न्यायाधीश नरेंद्र ने यह भी कहा कि अगर पुलिस पूछताछ करना चाहती है, तो ऑनलाइन तरीके से कर सकती है.
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