UP Assembly Elections 2022: योगी आदित्यनाथ के 80:20 के जवाब में स्वामी प्रसाद मौर्य का 85:15 का फॉर्मूला, समझें गणित
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लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 80:20 के फॉर्मूले के बाद अब स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई रणनीति बनाई है. उन्होंने सीएम योगी के फॉर्मूले के जवाब में अब 85:15 का नया फॉर्मूला दिया है. विधानसभा चुनावों (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) के दौरान दोनों नेताओं की कही हुई बातें यूपी की सियासत की हकीकत बयां करती हैं. योगी आदित्यनाथ के 80:20 के फॉर्मूले को सांप्रदायिक गणित से जोड़कर देखा गया था, तो अब स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya) के 85:15 के फार्मूले को जातीय गणित से जोड़कर देखा जा रहा है. सीधा मतलब यह निकाला जा सकता है कि भाजपा के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के सामने मौर्य ने जातिगत ध्रुवीकरण का पासा फेंका है. 85 फीसदी को पूरा करने के लिए ही स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि समाजवादियों के साथ अब अम्बेडकरवादी भी आ गए हैं.
9 जनवरी को न्यूज़ 18 के प्रोग्राम ‘एजेंडा यूपी’ में एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 80:20 का फॉर्मूला दिया था. उनसे पूछा गया था कि ब्राह्मणों की नाराजगी को भाजपा कैसे दूर करेगी. इस सवाल के जवाब में योगी आदित्यनाथ ने तब कहा था कि यूपी के चुनाव में बात इससे आगे निकल गई है. यह चुनाव 80 बनाम 20 का हो गया है. उने इस बयान को हिन्दू और मुसलमान वोट बैंक से जोड़ कर देखा गया था.
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सीएम योगी के 80:20 का मतलब
जानकारों की मानें तो योगी आदित्यनाथ ने यूपी चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की बात इस आंकड़े के जरिए जाहिर की थी. सभी जानते हैं कि यूपी में मुस्लिम आबादी 20 फ़ीसदी के लगभग मानी जाती है. योगी आदित्यनाथ इसी ओर इशारा कर रहे थे. उनके कहने का मतलब यह था कि इस चुनाव में 80 फ़ीसदी हिंदू भाजपा के साथ हैं, जबकि 20 फ़ीसदी मुस्लिम भाजपा के खिलाफ हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्य का 85:15 का फॉर्मूला
अब समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह लड़ाई 80:20 की नहीं, बल्कि 85:15 की है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा के सांप्रदायिक फॉर्मूले की तोड़ के लिए जातिगत फॉर्मूले का हथियार चलाया है. इसके जरिए उन्होंने बताने की कोशिश की है कि भाजपा का असल वोट बैंक सिर्फ सवर्णों का है. उत्तर प्रदेश में सवर्णों की आबादी लगभग 15 फ़ीसदी मानी जाती है. वहीं, प्रदेश में दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों की आबादी सवर्णों के 15 फ़ीसदी के मुकाबले 85 फ़ीसदी है. इसीलिए उन्होंने 85:15 का फॉर्मूला दिया है.
उत्तर प्रदेश की जातिगत गणित
वैसे तो जातिगत आबादी का ठोस आंकड़ा नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि प्रदेश में 43 फ़ीसदी के लगभग पिछड़े, 21 फ़ीसदी के लगभग दलित और 19 फ़ीसदी के लगभग मुस्लिम हैं. 0.6 फ़ीसदी अनुसूचित जनजातियों की आबादी है. दलितों, पिछड़ों, मुस्लिमों और आदिवासियों की ये आबादी यूपी की कुल आबादी के लगभग 85 फ़ीसदी ठहरती है. स्वामी प्रसाद मौर्या का दावा है कि यह सभी 85 फ़ीसदी आबादी भाजपा के खिलाफ खड़ी है.
15 फीसद की गुत्थी
समझने वाली बात यह है कि फिर उनके मुताबिक कौन सी 15 फ़ीसदी आबादी भाजपा के साथ है. जानकारों का मानमा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य सवर्णों की आबादी को भाजपा के पक्ष में बता रहे हैं जो लगभग 15 से 20 फ़ीसदी मानी जाती है. इसमें ब्राह्मणों और ठाकुरों की आबादी सबसे ज्यादा है. इनके साथ वैश्यों की आबादी को भी स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसी कड़ी में रखा है. परंपरागत रूप से भाजपा के यही वोटर माने जाते रहे हैं. यूपी में ब्राह्मणों की आबादी 6 से 8 फ़ीसदी, ठाकुरों की आबादी 5 से 7 फ़ीसदी और वैश्यों की आबादी 2 से 3 फ़ीसदी के करीब मानी जाती है. इस तरह इन तीनों की आबादी को जोड़ दिया जाए तो संख्या लगभग 15 फ़ीसदी के करीब ठहरती है. स्वामी प्रसाद मौर्या इसी ओर इशारा कर रहे थे. उनके कहने का मतलब यह था कि भाजपा के साथ 2014 के बाद जो पिछड़े और दलित जुड़े थे, अब वह उसके खिलाफ खड़े हो गए हैं.
सवर्ण बनाम अन्य की राजनीति
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. वह योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. अब उन्होंने भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर लिया है. सपा में शामिल होने के बाद उन्होंने 85:15 का गणित पेश किया है. यानी सवर्ण बनाम अन्य की राजनीति खेली गई है.
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Tags: Swami prasad maurya, Uttar Pradesh Assembly Elections, Uttar Pradesh Elections
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