उत्तराखंड

UP Chunav: अखिलेश यादव का कुनबा बढ़ा या फिर बढ़ी टेंशन, कैसे सुलझेगा मसूद-सैनी और अल्ताफ-मुख्‍तार का पेच

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के ठीक पहले दल-बदल की सियासत चरम पर है. इस बीच दूसरे दलों से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में शामिल हो रहे प्रमुख नेताओं की बढ़ रही संख्या से पार्टी में टिकट के लिए पहले से मौजूद दावेदार अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर आशंकित हैं. शुक्रवार को स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) सहित दो पूर्व मंत्री और छह विधायक भारतीय जनता पार्टी छोड़कर सपा में शामिल हुए. यह माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के इरादे से दल बदल किया है, जिससे सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के सामने उम्मीदवारों के समायोजन की बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती ह‍ै.

स्‍वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर जिले की पडरौना सीट से विधानसभा सदस्य हैं, जहां उनके समायोजन में सपा नेतृत्व को कोई मुश्किल नहीं है. सूत्रों का कहना है कि मौर्य अपने पुत्र उत्‍कृष्‍ट मौर्य को रायबरेली जिले की ऊंचाहार सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं. उत्‍कृष्‍ट मौर्य 2017 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे, लेकिन समाजवादी पार्टी के मनोज कुमार पांडेय ने उन्हें पराजित कर दिया था. यही नहीं, पांडेय ने 2012 में भी बहुजन समाज पार्टी से उम्मीदवार रहे उत्‍कृष्‍ट मौर्य को ही चुनाव में हराया था. साल 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे मनोज कुमार पांडेय एक प्रमुख चेहरा हैं. जबकि मौर्य अति पिछड़ी जाति से आते हैं.

स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने कही ये बात
बेटे को टिकट की शर्त के सवाल पर मौर्य ने पिछले दिनों कहा था कि बेटा-बेटी का टिकट उनके लिए कोई मायने नहीं रखता है. हालांकि मौर्य अगर बेटे के लिए ऊंचाहार से टिकट मांगते हैं तो अखिलेश यादव के लिए मुश्किल होनी तय है. पार्टी के एक नेता ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा कि अगर मौर्य ने बेटे के लिए टिकट की जिद की तो पांडेय को किसी दूसरी सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है. चूंकि मनोज पांडेय ने इस बार भी ऊंचाहार से ही अपनी तैयारी की है, ऐसे में दूसरे क्षेत्र से चुनाव लड़ने को लेकर उनका असमंजस में होना स्वाभाविक है.

क्‍या पूर्व सांसद राकेश पांडेय को मिलेगा मौका?
इसी तरह, कुछ दिनों पहले पूर्व सांसद राकेश पांडेय बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए थे, जिसे लेकर सुभाष राय चिंतित हैं. विधानसभा उपचुनाव में अंबेडकरनगर जिले की जलालपुर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले सुभाष राय ने स्वीकार किया कि अब जलालपुर से पार्टी राकेश पांडेय को ही उम्मीदवार बनाएगी. हालांकि टिकट नहीं मिलने की पीड़ा के साथ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष (अखिलेश यादव) ने उन्हें समायोजन का भरोसा दिया है. राकेश पांडेय के पुत्र रितेश पांडेय अंबेडकरनगर लोकसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के सांसद हैं.

इमरान मसूद और धर्म सिंह सैनी के कारण भी होगी परेशानी
सहारनपुर के मूल निवासी कांग्रेस के पूर्व सचिव इमरान मसूद का मामला भी इसी तरह का है. 2017 में सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार रहे इमरान मसूद को हराने वाले धर्म सिंह सैनी ने भी उत्‍तर प्रदेश सरकार में आयुष मंत्री पद से इस्तीफा देकर शुक्रवार को समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली है. मुस्लिम सियासत में प्रदेश में अपनी अलग अहमियत रखने वाले इमरान मसूद और शाक्य, सैनी और कुशवाहा समाज में दखल रखने वाले धर्म सिंह सैनी के बीच संतुलन बिठाने में सपा प्रमुख के सामने मुश्किलें आ सकती हैं.

अंबेडकरनगर जिले की अकबरपुर बन सकती है चुनौती
इस तरह अंबेडकरनगर जिले की अकबरपुर विधानसभा सीट पर 2017 में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राममूर्ति वर्मा को बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने पराजित किया था. करीब दो माह पहले राम अचल राजभर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. जिस दिन सपा मुख्यालय में राजभर अखिलेश यादव से मिलने आए थे, उसी दिन वर्मा के समर्थक भारी तादाद में सपा कार्यालय पहुंचे और वर्मा को ही टिकट देने का दबाव बनाया था.

यही नहीं, सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़ सीट से भाजपा गठबंधन से जीते अपना दल (सोनेलाल) के विधायक चौधरी अमर सिंह शुक्रवार को अपनी पार्टी से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं. इस सीट पर सपा के उग्रसेन सिंह पिछली बार अमर सिंह से चुनाव हारे थे.

पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वी यूपी तक चुनौती ही चुनौती
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में समाजवादी पार्टी के लिए यह मुश्किल दिख रही है. मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के भाई और पूर्व विधायक सिबगतुल्ला अंसारी कुछ माह पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हुए, जिस पर सत्तारूढ़ भाजपा ने सपा पर माफिया को संरक्षण देने का आरोप भी लगाया. हालांकि अखिलेश यादव ने 2017 के चुनाव से पहले अंसारी बंधुओं के कौमी एकता दल का सपा में विलय कराने से इंकार कर दिया था. पिछले दो चुनावों से सपा से मऊ में मुख्तार के खिलाफ कड़ी टक्‍कर दे रहे अल्ताफ अंसारी के समर्थक मुख्तार परिवार की अखिलेश यादव से बढ़ती नजदीकियों से चिंतित हो गए हैं.

वहीं, अल्ताफ अंसारी कहा कि यह मेरा दुर्भाग्य है कि मैं दो बार चुनाव हार गया, लेकिन मुझे जिस दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चुनाव लड़ने का हुक्म दिया, उसी दिन से जनता तैयार है और जनता एक-एक मत सपा को देगी. मुख्तार अंसारी को टिकट दिये जाने की संभावनाओं पर उन्होंने कहा, ‘मैं तो अपना चुनाव प्रचार कर रहा हूं, दो बार सपा का उम्मीदवार रहा हूं और अखिलेश यादव के नेतृत्व पर मुझे भरोसा है कि वह मुझे पुन: उम्मीदवार बनाएंगे.’

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Tags: Akhilesh yadav, Mukhtar ansari, Samajwadi party, Swami prasad maurya, UP Election 2022, Uttar Pradesh Assembly Elections, Uttar Pradesh Elections

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