उत्तराखंड

UP Chunav: 95 साल की इस बुजुर्ग की एक जुबान पर हो जाता है विधायकों की जीत-हार का फैसला

[ad_1]

प्रयागराज. संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj News) मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जुही कोठी गांव बार विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है. यह आदिवासी बाहुल्य सभा क्षेत्र है, जहां विधायकों की जीत-हार जूही कोठी की रहने वाली 95 साल की दुइजी अम्मा करती हैं. जूही कोठी गांव में वोट देना किसी का व्यक्तिगत मामला नहीं है. वह तो बस एक ही की पसंद है, जिसे लगभग हर कोई मानेगा. इसकी वजह कोई जोर-जबरदस्ती नहीं, बल्कि दुइजी अम्मा की सेवा और समर्पण है. 95 साल की इस बुजुर्ग ने अपने क्षेत्र के आदिवासियों के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया है. हर किसी के दुख-सुख में वह साथ होती हैं.

दुइजी अम्मा न सिर्फ गांववालों के झगड़े निपटाती हैं, बल्कि उनके वोट देने का रुझान भी तय करती हैं. अम्मा जिसे चुनती हैं गांव के वोटर उसी को वोट देते हैं. इसलिए यह आश्चर्य नहीं कि शंकर गढ़ ब्लॉक में स्थित छोटे से गांव में 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी शायद वही होगा. स्थानीय नेता यहां प्रचार करने आते हैं तो अम्मा को पूरे चुनाव अपने गाड़ियों में साथ लेकर प्रचार-प्रसार करते हैं. कई सोशल मीडिया और कुछ घरों में टीवी के जरिए राजनीतिक संदेश भी आते हैं, जो लोगों की पसंद पर भी उसका असर होता ही है लेकिन मोटे तौर पर दुइजी अम्मा ही बताती हैं कि किसे वोट देना है. वोटिंग की पूर्व संध्या पर अम्मा चाहे जिसे चुनें, गांव के लोग उन्हीं को वोट देते हैं.

ये भी पढ़ें- सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलों पर लगाया विराम, जानें क्या कहा 

चुनाव के वक्त जो भी नेता जूही कोठी आता है, दुइजी अम्मा हर किसी से मिलती हैं. अम्मा उनका स्वागत करती हैं और उनसे प्यार से कहती हैं कि वे उनके लिए जो भी अच्छा होगा करेंगी. अमूमन उनसे कहती हैं, ‘जरूर करब.’ जब कोई उनका समर्थन पाने को उतावला दिखता है तो कई बार वे कह देती हैं ‘अभी तो बहुत दिन बाकी है.’

दूईजी अम्मा की यही तो खासियत बाकी सामुदायिक नेताओं से उन्हें अलग बनाती है. बता दें कि दुइजी अम्मा कोल समुदाय की हैं, जो इलाके का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है. उत्तर प्रदेश सरकार उसे अनूसूचित जाति घोषित कर चुकी है. वहीं समुदाय के लोग अपने लिए अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रहे हैं. स्कूल न गईं दुइजी अम्मा समुदाय के सरोकार समझती हैं और जो भी राजनीतिक पार्टी उनसे संपर्क करती है, सबसे यह मुद्दा उठाती हैं. वे सतर्क, समझदार हैं और हर फैसले अपनी अंतरदृष्टि से करती हैं.

वह कैसे तय करती हैं कि किस पार्टी और उम्मीदवार को वोट दिया जाए? इस सवाल पर उनका जवाब है जान सुनकर… हालांकि गांव के ज्यादातर मामले अम्मा ही निभाती हैं. इसके साथ ही आस-पड़ोस के इलाकों में भी अम्मा की बातों को काटने वाला कोई नहीं है. ख्वाबों को छोड़ दिया जाए तो अम्मा की कही हुई बात पत्थर की लकीर साबित हो जाती है.

गौरतलब है कि 12 विधानसभा से तत्कालिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी से डॉ. अजय भारती विधायक हैं, लेकिन विधानसभा के लोग उनके कार्यों से खुश नहीं हैं. इसके साथ ही पूर्व में बारा विधानसभा क्षेत्र से सपा की जीत हुई थी. जूही कोठी गांव में ही लगभग 3 हजार से ज्यादा वोटर हैं और लाखों की संख्या में वोटर दुईजी अम्मा की बात मानते हैं.

ये भी पढ़ें- पीएम मोदी आज रखेंगे यूपी के पहले खेल विश्वविद्यालय की आधारशिला, आखिरी मिनट हुआ कार्यक्रम में बदलाव

अम्मा ने अपने लिए कुछ भी नहीं किया जो कुछ भी अम्मा के पास आया वह अपने समुदाय के लोगों को दान कर दिए. टूटी-फूटी झोपड़ी में अम्मा के 20 लोगों का परिवार अलग-अलग रहते हैं, जिसमें से 4 लड़के और 5 लड़कियां हैं. मौजूदा समय में 95 वर्षीय दूजी अम्मा का पेंशन रिनुअल भी नहीं हुआ है, जिससे कि सरकार द्वारा चलाई गई वृद्धा पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

20 साल तक अम्मा ने गरीबों की लड़ाई लड़ी और 6 साल तक स्कूल भी चलाई, लेकिन मौजूदा समय में दूईजी अम्मा बेड पर पड़ी हुई हैं. इसके बावजूद गांव वालों का प्रेम अम्मा के प्रति कम नहीं है. जो भी अम्मा कहती है बारा विधानसभा सर आंखों पर रखता है. न्यूज़18 हिन्दी से बातचीत करते हुए दुईजी अम्मा ने कहा कि सुबह के योगी और मोदी सरकार ने गरीबों के लिए बहुत कुछ किया है. गैस कनेक्शन आवास योजना सहित गरीबों के लिए काफी राहत मिली है. अब गरीब फक्र से बीजेपी का समर्थन कर रहा है.

फिलहाल दूइजी अम्मा के इशारों से यह पता चला कि इस बार भी बारा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की ही जीत होगी. दुइजी अम्मा का बेटों, बेटियों और बहुओं का लंबा-चौड़ा परिवार है. वे सभी अलग-अलग झोपड़ियों में रहते हैं. मगर शांति और सौहार्द के साथवे जंगल से ताड़ और खजूर के पत्ते लाती हैं. उनसे झाड़ू बनाती हैं और पड़ोस के गांव में बेचती हैं. वे अपने समाज की अघोषित नेता हैं और उन्होंने लंबे समय से बनाए गांववालों से अपने सामजिक रिश्ते और ‘भरोसे’ से इसे हासिल किया है गांववाले उन्हें ‘अम्मा’ ही कहते हैं.

आपके शहर से (इलाहाबाद)

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश

Tags: BJP, Prayagraj, UP chunav

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *