UP Election 2022: कोविड पाबंदियों के चलते जमीन पर खड़े हैं हेलिकॉप्टर, शोर और उड़ती धूल के बिना फीके पड़े
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नई दिल्ली. चुनाव का मौसम हो और रैलियों का दौर हो, ऐसे में उत्तर भारत के गांवों में लोगों को हेलीकॉप्टर के आने का इंतज़ार रहता है. कई दलों के स्टार प्रचारक अपनी ताबड़तोड़ सभाओं के चलते, जल्दी सफर करने के लिए इन्हीं हेलिकॉप्टर का सहारा लेते हैं. अगर उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यहां का चुनाव तो हेलीकॉप्टर के शोर और उड़ती धूल के बिना अधूरा माना जाता है. कुल मिलाकर भारत के चुनावों में पिछले कई सालों से हेलिकॉप्टर खुद ही एक स्टार प्रचारक की भूमिका निभाता आ रहा है. लेकिन कोविड की तीसरी लहर के चलते चुनाव आयोग ने जनवरी के अंत तक सभी रैलियों पर पाबंदी लगा दी है, जिसकी वजह से 10 चार्टर संचालकों के 20 हेलिकॉप्टर जिन्हें कई राजनीतिक पार्टियों ने दो महीने पहले ही बुक कर दिया था, लेकिन अब पाबंदियों के चलते वह ज़मीन पर ही खड़े हुए हैं. इस वजह से सभी चार्टर संचालकों में निराशा का माहौल है.
हेलिकॉप्टर को लेकर दीवानगी
उत्तर प्रदेश में हेलिकॉप्टर को लेकर इस कदर दीवानगी है कि अक्सर नेता 20-30 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए भी हेलिकॉप्टर का सहारा लेते हैं. क्योंकि प्रदेश में किसी स्टार प्रचारक से ज्यादा भीड़ कई बार हेलिकॉप्टर बटोर लेता है. अगर आप देखें तो पाएंगे कि जिस जगह हेलिकॉप्टर उतरने वाला होता है, उस हैलीपैड के पास, नेता के मंच से ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है. यही वजह है कि कई बार नेता, पायलट से जहां सभा होने वाली होती है, उसके आस पास दो-तीन चक्कर लगाने को कहते हैं.
छोटे दल भी लेने लगे हैं हेलिकॉप्टर
चुनावों में मतदान से 60 दिन पहले से ही हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल शुरू हो जाता है. अब तो छोटे दल भी हेलिकॉप्टर लेने लगे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक चार्टर संचालक कहते हैं कि जहां राष्ट्रीय दल 6-7 हेलिकॉप्टर बुक करते हैं, वहीं छोटे दल भी एक हेलिकॉप्टर तो लेते ही हैं. वर्तमान में अगस्ता वेस्टलैंड-139, हेलिकॉप्टर सबसे ऊपर रहता है, जिसका किराया 4.5 लाख रुपये प्रति घंटा होता है. और दो महीनों में इसकी कम से कम 100 घंटों की बुकिंग होती है. इस तरह एक चुनाव में संचालक 4-5 करोड़ रुपये कमा लेते हैं. इसके बाद सिंगल इंजन वाला 407 और ए-130 प्रति घंटे के 1.3 लाख रुपये कमाता है.
वक्त भी बचता है नेताओं का
संचालक कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में हेलीकॉप्टर एक बड़ा हथियार होता है, जो ना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों के आकर्षण का केंद्र रहा है, बल्कि हर लिहाज से नेताओं का वक्त बचाने में मदद करता है. नेता हेलिकॉप्टर के अंदर ही टीवी साक्षात्कार से लेकर तमाम दूसरे काम निपटा लेते हैं. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से लगी पाबंदियों के चलते उत्तर प्रदेश के तमाम दलों का स्टार प्रचारक शोर नहीं मचा सका और ना ही धूल उड़ा पा रहा है.
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