UP Election: काशी का दिल कही जाने वाली इस सीट पर छात्र नेता से वकील बने दो ब्राह्मणों में जंग, जानें समीकरण
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वाराणसी. बनारस का दिल कही जाने वाली शहर दक्षिणी सीट (Varanasi South Seat) पर इस बार सबकी निगाहें हैं. गलियों वाले इस इलाके में बाबा विश्वनाथ, काल भैरव और अन्नपूर्णा समेत कई छोटे बड़े मंदिर हैं. दिलचस्प बात ये है कि मुकाबले में दिख रहे भाजपा और सपा के दोनों प्रत्याशी एक ही कालेज की छात्र राजनीति से निकलकर वकालत के रास्ते राजनीति में आए हैं.
वाराणसी की शहर दक्षिणी सीट से भाजपा ने इस बार भी मंत्री नीलकंठ तिवारी (Neelkanth Tiwari) को मैदान में उतारा है. वह हरिश्चंद्र डिग्री कालेज में महामंत्री रहे और वकालत करते थे. जबकि सपा ने महामृत्युंजय मंदिर के महंत के बेटे और पुजारी किशन दीक्षित (Kishan Dixit) को अखाड़े में उतारा है. वह भी हरिश्चंद डिग्री कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष रहे और वकालत की है. किशन दीक्षित का ये पहला चुनाव है.
वाराणसी की इस सीट पर भाजपा का रहा है कब्जा
इस सीट पर लंबे वक्त से भाजपा का कब्जा रहा है. यहां से सात बार भाजपा के श्यामदेव राय चौधरी विधायक रहे हैं. पिछली बार उनका टिकट काटकर भाजपा ने नीलंकठ तिवारी को मैदान में उतारा था. नीलकंठ तिवारी ने सपा और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी और पूर्व सांसद राजेश मिश्रा को करीब 17000 हजार वोटों से हराया था. हार जीत का अंतर बहुत ज्यादा न होने से इस बार भी विपक्ष उत्साहित है. कांग्रेस ने मुदिता कपूर को टिकट दिया है. मुदिता भी पहली बार मैदान में हैं. हालांकि इस सीट पर किसकी जीत होगी, किसकी हार, ये तो 10 मार्च को ही पता चल पाएगा. जबकि शहर दक्षिणी सीट का रोमांच इस वक्त गंगा की लहरों की तरह उफान मार रहा है.
ये हैं जातीय समीकरण
काशी की शहर दक्षिणी सीट पर का जातिगत समीकरण भी अहम है. यहां ब्राह्मण मतदाता 60 हजार, एक लाख मुसलमान , 20 हजार यादव, 90 हजार बनिया, 10 हजार पंजाबी, 10 हजार दलित, 25 हजार मल्लाह और 5 हजार गुजराती हैं.
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