उत्तराखंड

अमेरिकी विदेश मंत्री आज जयशंकर और डोभाल से करेंगे मुलाकात, अफगानिस्‍तान जैसे मुद्दे मुख्‍य एजेंडा

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नई दिल्‍ली. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) अपने पहले भारत दौरे पर मंगलवार को दिल्‍ली पहुंचे. उनका यह दौरा महज 24 घंटे का ही होगा. वह बुधवार शाम को वापस अमेरिका लौट जाएंगे. इस दौरान वह भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) और राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (Ajit Doval) से मिलेंगे. ब्लिंकन और जयशंकर के बीच करीब ढाई घंटे की मुलाकात प्रस्‍तावित है. इसका मुख्‍य एजेंडा अफगानिस्‍तान (Afghanistan) की स्थिति पर होना बताया जा रहा है. हालांकि इस दौरान कई अन्‍य मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है.

भारत का मानना ​​है कि तालिबान कुछ समय के लिए कम पड़ा हुआ है और उसका अगला चरण अगस्त के अंत में शुरू होगा. यह अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्‍तान से वापसी की समय सीमा है. यही वह समय है जब तालिबान की शहरी क्षेत्रों और प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा करने की रणनीति में बदलाव हो सकता है. इस कारण से अगले दो-तीन महीने अफगानिस्तान के भविष्य और क्षेत्र की स्थिरता को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होंगे.

संभावना जताई जा रही है कि भारत इस अफगानिस्‍तान से सेना की अचानक वापसी का भी मुद्दा उठाएगा, जिसके कारण तालिबान को आगे बढ़ने में मदद मिली. भारत सरकार के सूत्रों ने यह भी बताया है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के संबंध में भारत आतंकवाद की फंडिंग और आतंकी ठिकानों के मुद्दे पर पाकिस्तान पर लगातार दबाव बनाने की आवश्यकता को भी उठाएगा.

भारत से यह मुद्दा उठाने की भी उम्मीद है कि पाकिस्तान और तालिबान के बीच संपर्क कैसे खुला रहता है. रिपोर्टों से पता चलता है कि क्वेटा के जिलानी अस्पताल में घायल तालिबान लड़ाकों का इलाज किया गया था. क्वेटा में तालिबान के समर्थन में रैलियों का आयोजन किया गया है. केपीके में नेताओं द्वारा अफगान बलों के खिलाफ युद्ध में शामिल होने का आह्वान किया गया है. भारत इस तथ्य पर जोर देगा कि पाकिस्तान से सैन्य समर्थन जारी है और यहां तक कि राष्ट्रपति गनी ने तालिबान लड़ाकों को अफगान क्षेत्र में धकेलने के लिए खुले तौर पर ताशकंद में पाकिस्तान को दोषी ठहराया.

इस संदर्भ में ब्लिंकन की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ बैठक भी महत्वपूर्ण है. अमेरिका पहले ही कह चुका है कि अमेरिका और भारत भी अफगानिस्तान जैसे क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर निकटता से समन्वय कर रहे हैं. एक अन्य क्षेत्र में स्थिरता है जिसने पिछले कुछ वर्षों में दोनों पक्षों पर कब्जा कर लिया है. यह क्षेत्र है भारत प्रशांत क्षेत्र. अमेरिका ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करने के प्रयासों में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति और महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में भारत के उदय का समर्थन करता है कि हिंद-प्रशांत शांति, स्थिरता और बढ़ती समृद्धि और आर्थिक समावेश का क्षेत्र है.

चीन के साझा खतरे के साथ क्वाड समन्‍वय को गहरा करने पर चर्चा एक अन्य प्रमुख क्षेत्र होगा. इस साल के अंत में विदेश मंत्रिस्तरीय क्वाड बैठक भी होने की संभावना है. अमेरिका इसी साल एक और इन-पर्सन क्वाड समिट का भी इच्छुक रहा है.

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