उत्तराखंड

Uttarakhand: CM पुष्कर सिंंह धामी और उनके नए मंत्रिमंडल के सामने कम नहीं होंगी चुनौतियां

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देहरादून. उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी (Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami) ने सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर आज शपथ ले ली है. मुख्यमंत्री के तौर पर वो और उनके मंत्रिमंडल के सामने कई तरह की चुनौतियां रहेंगी. जिसका उन्हें मुकाबला करना होगा. खटीमा से दो बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी के सिर पर भले ही उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में ताज सज गया हो, लेकिन फिलहाल उनके भाग्य में कड़ी चुनौतियां हैं. चुनावी साल होने की वजह से धामी को प्रदेश के मुखिया के रूप में काम करने के लिए बामुश्किल 8 महीने का वक्त मिलेगा. इन्हीं 8 महीनों में नए सीएम को न केवल सरकार-संगठन को तालमेल के साथ आगे बढ़ाना है, बल्कि चुनाव की तैयारी भी करनी है. उन्हें सीनियर विधायकों ओर मंत्रियों को साथ लेकर चलने की चुनौती होगी.

कोविड 19 की दूसरी लहर अभी चंद दिनों से ही शांत है. विशेषज्ञ तीसरी लहर की आशंका काफी समय से जता रहे हैं. पहले त्रिवेंद्र ओर फिर तीरथ सरकार में कोविड 19 प्रबंधन सवालों के घेरे में रहा. अब चूंकि तीसरी लहर की आशंका तेज है, ऐसे में नए सीएम के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होगा. राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षा और समुचित उपचार मुहैया कराने की व्यवस्था करनी होगी. कोरोना महामारी के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी हुई है. राज्य के पास कोविड से लडाई, नए विकास कार्यों के लिए धन की किल्लत है. ऐसे में विकास की गाड़ी को भी तेजी से आगे बढ़ाना है.

पारदर्शी शासन और भ्रष्टाचार पर लगाम

भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा अपनी नीति को जीरो टालरेंस की नीति बताई रही है, लेकिन एनएच मुआवजा घोटाला चावल घोटाला, कोरोना फर्जी जांच घोटाला, कर्मकार बोर्ड विवाद समेत कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें शुरुआती कार्रवाई के बाद सरकार के तेवर नरम पड़ते दिखाई दिए हैं. जनता को पारदर्शी शासन और भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड देन सीएम के लिए बड़ा टास्क रहेगा.

ये होंगी बड़ी चुनौतियां

– मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर धामी का 8 महीने का सफर चुनौतियों भरा होगा. क्योंकि इस 8 महीने के दौरान प्रदेश में एक बार फिर से विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है.

– कोविड 19 की संभावित तीसरी लहर से प्रदेश वासियों की सुरक्षा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था की गति को तेज करना बड़ी चुनौती होगी.

– चारधाम यात्रा एक सबसे बड़ी चुनौती होगी. कोर्ट में चल रहा है किस तरह से चार धाम यात्रा को पटरी पर लाया जा सकता है. सरकार को एक खाका खींचने की जरूरत रहेगी.

– 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा को 2017 की जीत को दोहराने की चुनौती होगी.

– नौकरशाही पर लगाम लगाने की काम करना होगा, क्योंकि चुनाव का वक्त है ऐसे में बहुत ठोस रणनीति बनानी होगी.

– पार्टी संगठन और सरकार के बीच बेहतर -तालमेल करना होगा. विधायक और मंत्रियों के विवादित बोल पर भी लगाम लगाने का चुनौती होगी.

– विकास की गति कोरोना की वजह से धीमी पड़ी है. उसमें भी तेजी लाने का खाका खींचना होगा.

– उत्तराखंड के केदारनाथ बद्रीनाथ गंगोत्री यमुनोत्री धाम के लिए बने देवस्थानम बोर्ड भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

– देवस्थानम बोर्ड अब नई सरकार के पाले में है, जिसका फैसला करना होगा.

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