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देहरादून. उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते तबाही का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. देहरादून-ऋषिकेश मार्ग पर करीब दो हफ्ते पहले जो पुल टूट गया था, उसके विकल्प के तौर पर प्रशासन ने एक और रास्ता बनवाया था ताकि छोटे वाहनों और लोगों को सहूलियत हो सके, लेकिन सोमवार रात हुई भारी बारिश के चलते यह वै​कल्पिक रूट भी नहीं टिक सका. उफान पर आई नदी के बहाव में यह भी बहता हुआ एक वीडियो में दिखाई दिया, जिससे अब फिर लोगों की समस्या जस की तस हो गई है.

जाखण नदी पर बना 57 साल पुराना ब्रिज 27 अगस्त को तब ढह गया था, जब उत्तराखंड के अन्य इलाकों समेत देहरादून में भी तेज़ बारिश के चलते सड़कें और पुल ध्वस्त हुए थे. इस पुल में कई वाहन फंसकर नदी में बहने की खबरें और वीडियो सामने आए थे. अब एक ताज़ा वीडियो समाचार एजेंसी एएनआई ने जारी किया है, जिसमें बताया जा रहा है कि देहरादून-रानीपोखरी-ऋषिकेश हाईवे पर बनाया गया वैकल्पिक रूट भी बारिश से ढह गया है.

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देहरादून से ऋषिकेश जाना हो या ऋषिकेश से जॉलीग्रांट एयरपोर्ट आना हो, लोगों को देहरादून-हरिद्वार हाईवे से होते हुए लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा था. इसको देखते हुए लोक निर्माण विभाग ने यहां वैकल्पिक मार्ग बनाने का काम शुरू किया. सोमवार को ये वैकल्पिक सड़क बनकर तैयार हुई, लेकिन ये 12 घंटे भी नहीं टिक पाई. तेज बारिश के बाद सुबह जाखन नदी का जल स्तर बड़ा तो वैकल्पिक सड़क रेत की तरह बह गई.

आखिर क्यों ढह गया था पुल?
देहरादून से ऋषिकेश जाना हो या ऋषिकेश से जॉलीग्रांट एयरपोर्ट आना हो, जॉलीग्रांट हॉस्पिटल आना हो तो इसी हाईवे से आवाजाही होती थी. हाईवे पर जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के पास बना साढे चार सौ मीटर लंबा मोटर पुल बीते 27 अगस्त को जाखन नदी के तेज बहाव में ढह गया था. इससे यातायात तो ठप हुआ ही, लोगों की दिक्कतें भी बढ़ गई. दरअसल सिंगल लेन रानीपोखरी पुल 1963 का बना हुआ था. पिछले छह दशक में यातायात का दबाव कई गुना बढ़ा था, लेकिन पुल का कोई विकल्प नहीं निकाला गया. और तो और, पुल के ठीक नीचे माइनिंग का काम होने से ये पुल और कमजोर हो गया था. लिहाजा 27 अगस्त को उफान पर आई जाखन नदी के तेज बहाव में पुल भरभराकर ढह गया.

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प्रदेश के कई पुलों पर है खतरा!
इस महत्वपूर्ण पुल के ढहने के बाद लोक निर्माण विभाग की नींद खुली. लोक निर्माण विभाग के चीफ हरिओम शर्मा का कहना है ‘पुलों के सेप्टी ऑडिट का काम दो महीने में कर लिया जाएगा. इसके बाद प्राथमिकता के आधार पर इन पुलों को टू लेन में कन्वर्ट किया जाएगा. जहां टू लेन की ज़रूरत नहीं है, वहां इनका सुधारीकरण किया जाएगा.’ दशकों पुराने ये सभी पुल सिंगल लेन हैं, इनकी लोड कैपेसिटी भी बेहद कम 16 टन के आसपास है. कई गुना बढ़ चुके ट्रैफिक दबाव के मद्देनजर ये पुल कभी भी रानीपोखरी की तरह हादसे के शिकार हो सकते हैं.



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