उत्तराखंड

रेप केस में सिविल जज को अवमानना का नोटिस, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने चार हफ्तों में मांगा जवाब

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नैनीताल. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक निचली अदालत को कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. बलात्कार के एक मामले में निचली अदालत में चल रही सुनवाई के संदर्भ में हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि उस रेप पीड़ित को महिला की तरह समझा जाए, जिसका लिंग घोषित नहीं किया गया. इस आदेश की अवहेलना के चलते हाई कोर्ट ने पौड़ी गढ़वाल के एक सिविल जज समेत ज़िले के एक प्रशासनिक अधिकारी को कोर्ट की अवमानना को नोटिस थमाया है.

मुंबई निवासी एक रेप पीड़ित ने याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद यह कार्रवाई की गई. हाई कोर्ट ने पौड़ी गढ़वाल के सिविल जज सीनियर डिविजन के अलावा ज़िले के विधि सेवा प्राधिकरण के सचिव संदीप कुमार तिवारी को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है. इस मामले में जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की सिंगल बेंच ने जवाब आने के बाद इस केस में सुनवाई करने की बात कही.

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मामला यह है कि रेप पीड़ित ने हाई कोर्ट में एक याचिका फाइल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया गया था कि याचिकाकर्ता को महिला की तरह समझकर बर्ताव किया जाए. हालांकि बाद में याचिकाकर्ता ने एक और याचिका में आरोप लगाया कि हाई कोर्ट के निर्देश के बावजूद मामले की सुनवाई कर रहे सिविल जज ने ऐसा नहीं किया और हाई कोर्ट की अवमानना की.

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