उत्तराखंड

VIDEOS: सिंघु बॉर्डर पर किसानों का भजन पाठ, कुछ ऐसे घर जा रहे हैं अन्‍नदाता

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नई दिल्‍ली. किसान (Farmers) आज यानी 11 दिसंबर को दिल्‍ली (Farmers Protest) की विभिन्‍न सीमाओं को खाली करके अपने-अपने घरों की ओर निकल रहे हैं. चाहे दिल्‍ली का सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) हो, टिकरी बॉर्डर (Tikri Border) हो या फिर गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) हो, हर जगह किसानों में खुशी देखी जा रही है. किसान हर ओर से जश्‍न मनाते हुए घर जा रहे हैं. वहीं किसानों ने तंबू हटाने के साथ ही घर जाने से पहले सिंघु बॉर्डर पर भजन का पाठ किया. इसके अलावा भी किसानों ने विभिन्‍न जगहों पर डांस किए और गाने गाए.

ट्रैक्टरों के बड़े-बड़े काफिलों के साथ पिछले साल नवंबर में दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे आंदोलनरत किसानों ने शनिवार की सुबह अपने-अपने गृह राज्यों की तरफ लौटना शुरू कर दिया. साल भर से ज्यादा वक्त तक अपने घरों से दूर डेरा डाले हुए ये किसान अपने साथ जीत की खुशी और सफल प्रदर्शन की यादें लेकर लौट रहे हैं.

किसानों ने सिंघु, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर राजमार्गों पर नाकेबंदी हटा दी और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए एक समिति गठित करने सहित उनकी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र के लिखित आश्वासन का जश्न मनाने के लिए एक ‘विजय मार्च’ निकाला.

एक सफल आंदोलन के बाद पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों के अपने घरों के लिए रवाना होने के साथ ही भावनाएं उत्साह बनकर उमड़ने लगीं. रंग-बिरंगी रोशनी से सजे ट्रैक्टर जीत के गीत गाते हुए विरोध स्थलों से निकलने लगे और रंगीन पगड़ियां बांधे बुजुर्ग युवाओं के साथ नृत्य करते नजर आए.

पंजाब के मोगा निवासी किसान कुलजीत सिह ओलाख ने घर लौटने को उत्सुक अपने साथी किसानों के साथ सफर शुरू करने से पहले कहा, “सिंघू बॉर्डर पिछले एक साल से हमारा घर बन गया था. इस आंदोलन ने हमें (किसानों को) एकजुट किया, क्योंकि हमने विभिन्न जातियों, पंथों और धर्मों के बावजूद काले कृषि कानूनों के खिलाफ एक साथ लड़ाई लड़ी. यह एक ऐतिहासिक क्षण है और आंदोलन का विजयी परिणाम और भी बड़ा है.

Tags: Farmers Agitation, Farmers Protest



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