उत्तराखंड

कल्याण सिंह के निधन पर क्या बोले राम मंदिर आंदोलन में परम सहयोगी रहे रामविलास वेदांती?

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अयोध्या. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह (Kalyan singh) के निधन का सबसे अधिक असर अयोध्या (Ayodhya) में देखा जा रहा है. साधु-संत हों, विश्व हिंदू परिषद या राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोग हों, या फिर उनको जानने वाला आम इंसान. अयोध्या में 6 दिसंबर (Ram Mandir in Ayodhya) को जो कुछ हुआ उसके लिए उन्होंने खुद जिम्मेदारी ली और अपनी सरकार कुर्बान कर दी. उनके राजनैतिक चरित्र और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ साहस और कर्तव्य बोध को दर्शाता है. यही कारण है कि हर कोई आज गमगीन और उदास है. संतों उन्हें सच्चा राम भक्त बताते हुए श्रद्धांजलि दी है.

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने अपने संदेश में कल्याण सिंह की मौत को भारतीय समाज के लिए अपूरणीय क्षति बताया है. उन्हें भावी काल का इतिहास पुरुष बताया है. 6 दिसंबर को उन्होंने अधिकारियों से साफ कहा था कि निहत्थे रामभक्तों पर गोली न चलाई जाए. उन्होंने इसकी खुद जिम्मेदारी भी ली थी. ऐसी घोषणा करने वाले और आत्मिक साहस रखने वाले बाबू कल्याण सिंह को ईश्वर अपने चरणों मे स्थान दें, यही कामना है.

हिंदुओं के माथे पर लगा कलंकी टीका उन्होंने हटाया

हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह आत्मा शांति के लिए हनुमान जी से विनती किया है. हनुमान जी महाराज चरणों में जगह दें. आज उन्हीं की वजह से मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ है. प्रधानमंत्री ने अयोध्या में भूमि पूजन किया. जिस के कार्यकाल में हिंदुओं के माथे पर लगा कलंकी टीका समाप्त हुआ. वह राष्ट्र नायक हिंदू हृदय सम्राट कल्याण सिंह नहीं रहे. हम लोगों को इस अपार कष्ट है. राजू दास भावुक होते हुए बोले कि आज पहली बार भगवान रामलला के गर्भ गृह में में गया. मैंने रामलला से कहा कि आज जिस मंदिर में आप बैठे हैं वह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के दिन है. कल्याण सिंह अस्पताल में भर्ती हैं. उनको कष्ट है. मैंने भगवान से उनकी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की थी.

जब तक सूरज-चांद रहेंगे, तब तक कल्याण सिंह का नाम रहेगा

तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा यह पुण्यतिथि है. इससे साधु संत धर्माचार्य बहुत ही दुखी हैं. नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जगत गुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि ऐसा कोई रामभक्त नहीं पैदा हुआ, जिसने मुख्यमंत्री की कुर्सी को छोड़ दिया हो. जगद्गुरु परमहंस दास ने कहा कि हमने कई अनुष्ठान कराया, 4 दिन पहले कल्याण सिंह से मिलने गए थे. परमहंस आचार्य ने कहा कि अगर आज राम मंदिर का निर्माण हो रहा है तो यह कल्याण सिंह की देन है. परमहंस दास ने कहा कि आज भले ही कल्याण सिंह का शरीर छूट गया हो, लेकिन जब तक सूरज-चांद रहेगा तब तक कल्याण सिंह सबके हृदय में वास करेंगे.

श्री राम जी के लिए कुर्सी छोड़ दी थी, ऐसा दूसरा न हुआ

सरयू नित्य आरती के अध्यक्ष  शशि कांत दास ने कहा निश्चित रूप से आज भारतवर्ष में अपूरणीय क्षति हुई है. जिसकी पूर्ति नहीं की जा सकती है. श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए जिन्होंने अपने हाथों से अपनी सत्ता का त्याग कर दिया कारसेवकों के लिए जिन्होंने सर्वस्व न्योछावर कर के अपनी जो प्रतिष्ठा थी. उसको उन्होंने कायम रखा. हिंदू जनमानस हिंदू संस्कृति को सनातन धर्म को बचाने के लिए अपनी कुर्सी तक का त्याग करने वाला इतिहास में कोई नहीं हुआ है. अपनी मान, प्रतिष्ठा, धन-वैभव और संपत्ति का त्याग करके राम जी के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया. ऐसे माननीय श्री कल्याण सिंह जी को हम हृदय से सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. ठाकुर जी से श्री रामलला सरकार जी से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें अपने धाम में निवास दें, मां सरयू जी उन्हें अपनी शरणागति दें.

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