उत्तराखंड

Uttar Pradesh Elections: क्या है प्रतापपुर का चुनावी गणित? क्या इस बार BJP गठबंधन के लिए खुलेगा जीत का खाता?

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(ममता त्रिपाठी)
प्रतापपुर. प्रयागराज की एक विधानसभा सीट है प्रतापपुर (Pratappur Assembly Constituency) जिसके बारे में लोग कहते हैं कि जिले में पहली बार एके-47 यहीं चली थी. प्रतापपुर से सपा विधायक जवाहर यादव को करवारिया बंधुओं ने सिविल लाइंस इलाके के पैलेस सिनेमा के सामने घेर कर एके-47 से छलनी कर दिया था. कहा जाता है कि बालू व्यवसाय को लेकर दोनों गुटों में रंजिश थी. उस वक्त प्रयागराज के सबसे बड़े बाहुबली जवाहर यादव को मारने वाले उदयभान करवारिया की पत्नी नीलम करवारिया को भाजपा ने प्रयागराज की मेजा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. वही जवाहर यादव की पत्नी विजमा यादव को सपा ने प्रतापपुर से टिकट दिया है.

प्रतापपुर विधानसभा की बात करें तो ये सीट कभी कांग्रसे का गढ़ हुआ करती थी. श्याम सूरत उपाध्याय सबसे ज्यादा बार यहां से विधायक रह चुके है, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों के उदय के बाद से कांग्रेस का कैडर कमजोर होता चला गया और आज पार्टी लगभग हाशिए पर है.

किसकी जीत, किसकी हार?
इस सीट पर भाजपा कभी भी जीत हासिल नहीं कर पाई है. 2017 के विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में मोदी लहर थी, उस वक्त ये सीट भाजपा के गठबंधन दल अपना दल के पास गई थी मगर बसपा के मुज्तबा सिद्दिकी ने अपना दल के कैप्टन करन सिंह को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की थी. 1996 के चुनाव में प्रतापपुर की सीट सपा के खाते में गई थी, जोखू लाल यहां से विधायक बने थे. लेकिन 2002 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां जीत हासिल की और श्याम सूरत एक बार फिर यहां से जीत गए. 2007 और 2012 में समाजवादी पार्टी ने यहां से जीत हासिल की थी.

क्या है समीकरण?
प्रतापपुर विधानसभा सीट पर मतदाताओं की बात करें तो 65 हजार यादव, 50 हजार ब्राहमण, 43 हजार पटेल, 17 हजार बिंद, 12 हजार बनिया, 7 हजार ठाकुर और तीन हजार कायस्थ वोटर हैं. मुस्लिम मतदाता भी करीब 22 हजार हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में ये सीट भाजपा गठबंधन के घटक दल अपना दल के खाते में गई है, अपना दल (सोनेलाल) ने राकेश धर त्रिपाठी को यहां से उम्मीदवार बनाया है. राकेश धर त्रिपाठी बसपा और भाजपा की राजनाथ सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. 2007 में वो प्रयागराज की ही हंडिया विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. सपा ने विजमा यादव को टिकट दिया है, बसपा से घनश्याम पांडे, कांग्रेस से संजय तिवारी और आम आदमी पार्टी से हरिश् चन्द्र चुनाव मैदान में है.

चुनावी मुद्दा
सारे उम्मीदवार अपने अपने तरीकों से मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं…विपक्ष मंहगाई, बेरोजगारी और छात्रों को जिस तरह से पुलिस ने दौड़ा दौड़ा कर पीटा था उसको मुद्दा बना रही है जबकि भाजपा और घटक दल कानून व्यवस्था, भव्य कुंभ के आयोजन और सरकारी लाभकारी योजनाओं को गिनाकर वोट मांग रहे हैं. इस इलाके में भी आवारा पशु एक बहुत ज्वलंत मुद्दा है. पांचवें चरण में 27 फरवरी को यहां मतदान होना है, प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी.

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Tags: Assembly Elections 2022, Uttar Pradesh Assembly Elections 2022

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