उत्तराखंड

बार-बार राज्य के नेतृत्व में बदलाव करने के पीछे बीजेपी की क्या है रणनीति, क्या होगा भूपेंद्र पटेल का भविष्य

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अभिजीत मजूमदार

नई दिल्ली: गुजरात में बीजपे विधायक दल की बैठक के बाद नए सीएम का ऐलान कर दिया गया है. जैसा कि उम्मीद थी कि बीजेपी किसी ऐसे नाम पर मुहर लगाएगी जिसकी दूर दूर तक चर्चा न हो, हुआ भी कुछ ऐसा. सीएम पद की दावेदारी से दूर कदवा पाटीदार नेता भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel ) को अगले विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) तक के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई. भूपेंद्र पटेल प्रशानिक कार्यों और शांत स्वभाव के व्यक्ति के साथ साथ एक हिंदूवादी नेता के तौर पर जाने जाते हैं.

गुजरात में पिछले पांच छह वर्षों में कदवा पार्टी का रोल काफी बढ़ गया है. राज्य के आंदोलनों में कदवा समुदाय काफी सक्रीय रहा है. भूपेंद्र पटेल भाजपा के वरिष्ठ नेता नेता और पीएम मोदी की वफादार आनंदी बेन पटेल के काफी करीबी हैं और उन्हीं के निर्वाचन क्षेत्र घाटलोदिया से विधायक हैं. भूपेंद्र पटेल के ऊपर अब आगामी चुनाव में सूरत और अहमदाबाद में पार्टी को जिताने की अहम जिम्मेदारी होगी क्योंकि इन दोनों ही जगह पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. भूपेंद्र पटेल पर अब भारत के सबसे अग्रणी राज्य और पारंपरिक हिंदुत्व वादी प्रयोगशाला की जिम्मेदारी है.

भूपेंद्र पटेल भाजपा के एक ऐसे युग में सत्ता में आए हैं जिसमें कोई भी राज्य प्रमुख सत्ता को हल्के में नहीं ले सकता है. पटेल से पहले पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के इस्तीफे देने से पहले भाजपा पिछले छह महीने में पांच मुख्यमंत्रियों को बदल चुकी है. इसकी शुरुआत असम से हुई जहां विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बावजूद तत्कालीन सीएम सर्बानंद सोनोवाल को हटाकर हिमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद उत्तराखंड में दो बदलाव हुए जिसमें पहले तीरथ सिंह रावत को हटाकर त्रिवेंद्र सिंह रावत को जगह दी गई और फिर उनकी जगह पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को हटाकर उनके करीबी सहयोगी बसवराज बोम्मई को प्रदेश की कमान सौंपी गई.

भाजपा के लिए इतनी तेज गति से मुख्यमंत्रियों को बदलना सामान्य बात नहीं है. पार्टी के कई मुख्यमंत्रियों ने 10-15 साल तक राज्य की सेवा की जिसमें शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह, येदियुरप्पा और स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी. इससे पहले संघ परिवार में रोटेशनल सीएम के लिए मजाक उड़ाया जाता था. जब उमा भारती को हटाकर शिवरजा सिंह चौहान को लगााय गया तो काफी नारजगी व्यक्त की गई थी.

भाजपा द्वारा राज्य के नेतृत्व में बार बार परिवर्तन करने के बारे में कई तर्क हो सकते हैं, लेकिन यह संदेश साफ है कि यहां किसी की भी सीट पक्की नहीं है. राज्य के नेताओं को केंद्र से यह संक्षिप्त संदेश है हो सकता है कि अगर हम आपको बना सकते हैं तो हम आपको तोड़ भी सकते हैं. अब भाजपा ने ऐसे लोगों की लिस्ट बनाना शुरू कर दिया है जो भविष्य में उच्च प्रदर्शन करने वाले हो. योगी आदित्यनाथ, हिमंत बिस्वा सरमा, सुवेंदु अधिकारी ऐसे कुछ लोग हैं लोग भविष्य में पदभार संभाल सकते हैं. अब यह भविष्य ही बताएगा कि क्या 59 वर्षीय पटेल कब तक राज्य की सत्ता में रहते हैं और क्या वह बीजेपी की फ्यूटर स्टार्स क्लब मे शामिल हो सकते हैं या नहीं.

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