…जब अल्मोड़ा की ताड़का ने दर्शकों को डराया, रामलीला में मच गई चीख-पुकार
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अल्मोड़ा की रामलीला का इतिहास करीब 100 साल पुराना है.
ताड़का वध मंचन के दौरान मंच पर जब दर्शकों के बीच से होते हुए ताड़का पहुंचीं, तो एक बार के लिए वहां चीख-पुकार मच गई.
सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में रामलीला चल रही है. इसका इतिहास करीब 100 साल पुराना है. अल्मोड़ा की रामलीला में करीब एक महीना पहले से ही कलाकार तालीम लेना शुरू कर देते हैं. कलाकार अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत रहे हैं और उन्हें कलयुग में त्रेतायुग में घटी ऐतिहासिक घटनाओं से वाकिफ करवा रहे हैं. ताड़का वध मंचन के दौरान रामलीला के मंच पर जब दर्शकों के बीच से होते हुए ताड़का पहुंचीं, तो एक बार के लिए वहां चीख-पुकार मच गई. बच्चे और महिलाएं ताड़का को अपने पास आते देख डर गईं. मंचन के बाद दर्शकों ने ताड़का का किरदार निभाने वाले कलाकार को खूब सराहा.
अल्मोड़ा की रामलीला ऐतिहासिक रामलीला है. यहां के कलाकार देश-विदेशों में जाकर अपना परचम लहरा चुके हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि एक समय में अल्मोड़ा की रामलीला में छिलका जलाकर मंचन किया जाता था. जैसे-जैसे वक्त बदला रामलीला को भी नया आयाम मिलता गया. आजकल तो लोग सोशल मीडिया के माध्यम से घर बैठे मंचन देख सकते हैं.
बताते चलें कि अल्मोड़ा के हुक्का क्लब की रामलीला करीब 45 साल पुरानी है. इस रामलीला में युवा से लेकर बुजुर्ग कलाकार तक, सभी अभिनय करते हैं.
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