उत्तराखंड

अंतरिक्ष में कब भेजा जाएगा गगनयान? केंद्रीय मंत्री ने बताया सब

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नयी दिल्ली. भारत के गगनयान अभियान को 2022 तक या 2023 की शुरूआत में अंतरिक्ष में भेजे जाने की संभावना है. यह अभियान मूल रूप से 2022 के अंत तक भेजे जाने का कार्यक्रम था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के चलते इसमें देर हुई. इसका लक्ष्य पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव युक्त अभियान (अंतरिक्ष यात्री) भेजना है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘हम इसे असल में 2022 तक कर सकते हैं. हमने भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के साथ इसे करने की योजना बनाई थी, लेकिन कोविड-19 के कारण इसमें देर होने से ऐसा नहीं हो सकेगा.’’

मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन मैं आश्वस्त हूं कि अगले साल के अंत तक या 2023 की शुरूआत में, हम इसे बखूबी कर सकेंगे.’’अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री ने ‘फ्यूचर ऑफ इंडिया-ओसियानिया स्पेस टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप’ पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए यह कहा. इसका आयोजन यहां फेडरेशन ऑफ इंडिया चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने किया था. उन्होंने कहा कि अंतरिक्षण प्रौद्योगिकी ने हर क्षेत्र में भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि यह आपदा प्रबंधन में मददगार है.

मंत्री ने कहा कि तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए अंतरिक्ष औषधि की भी बड़ी भूमिका है. सरकार के मुताबिक अकादमिक संस्थानों से संबद्ध चार जैविक और दो सूक्ष्म गुरूत्व प्रयोगों का चयन गगनयान कार्यक्रम के लिए किया गया है.

इस साल की शुरुआत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने कहा था कि इसरो ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ गगनयान मिशन के लिए कोकोस कीलिंग द्वीप समूह में एक ‘ग्राउंड स्टेशन’ बनाने के लिए भी बातचीत कर रहा है.

भारत का महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन है गगनयान
गगनयान भारत का महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य तीन भारतीयों को पृथ्वी की निचली कक्षा (लीओ) में ले जाना है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में स्‍वतंत्रता दिवस पर राष्‍ट्र के नाम संबोधन में इस मिशन का ऐलान किया था. कोरोना महामारी की वजह से इस मिशन में पहले ही देरी हो चुकी है.

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