मोदी कैबिनेट विस्तार को लेकर सुगबुगाहट… कौन बनेगा उत्तराखंड से मंत्री?
[ad_1]
तीरथ क्यों बना सकते हैं मंत्री?
इसके पीछे वजह दी जा रही है कि उनको मुख्यमंत्री पद से पिछले हफ्ते जिस तरह से जाना पड़ा और इस सारी प्रक्रिया में उन्होंने पार्टी की अनुशासन की लाइन फॉलो की, इससे उनका नाम केंद्रीय संगठन के जेहन में है. तीरथ सिंह रावत के साथ ही असम के पूर्व मुख्यमंत्री सरबानंदा सोनोवाल का नाम भी मंत्रिमंडल में जगह पाने वालों की फेहरिस्त में आगे चल रहा है.
ये भी पढ़ें : महीनों बाद उत्तराखंड में मॉल खुले, नैनीताल व मसूरी में उमड़ी पर्यटकों की भीड़
क्या है उत्तराखंड के सांसदों का गणित?
दरअसल उत्तराखंड से 5 लोकसभा और 3 राज्यसभा के सांसद हैं. लोकसभा के सांसदों की बात करें, तो हरिद्वार से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक केंद्र में शिक्षा जैसे बड़े विभाग की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं. तीरथ सिंह रावत की बात करें तो वह अभी पौड़ी गढ़वाल से सांसद हैं. सूत्रों के अनुसार इनका क्लेम मंत्रिमंडल में जाने का इसलिए बन सकता है क्योंकि रावत 4 महीने तक मुख्यमंत्री रहे और जिस तरीके से इनकी विदाई हुई है, उससे कहीं न कहीं बीजेपी को भी लगता है कि रावत को एडजस्ट किया जाए ताकि गढ़वाल के राजपूत वोटर्स नाराज़ न हों.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पिछले दिनों राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा था.
दूसरी ओर नैनीताल से सांसद अजय भट्ट भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पाने वालों की दौड़ में शामिल हो सकते हैं. दरअसल 2017 में जब भाजपा की सरकार आई थी, उस समय भट्ट मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे लेकिन वह अपना विधानसभा चुनाव हार गए थे इसलिए चूक गए. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहने के बावजूद ब्राह्मण होने को लेकर संशय इसलिए है क्योंकि रमेश पोखरियाल निशंक पहले ही केंद्र में मंत्री हैं. ऐसे में एक ही राज्य से क्या दो ब्राह्मण मंत्री बनाए जाएंगे, इसकी संभावना कम ही है.
ये भी पढ़ें : तो तीरथ की त्रासदी की कहानी में विलेन कौन रहा, COVID-19 या कुछ और?
जातीय संतुलन को तरजीह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में उत्तराखंड से अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा कपड़ा राज्य मंत्री रहे. दरअसल अजय टम्टा दलित हैं और उस समय उनको मंत्रिमंडल में जगह देकर बीजेपी ने दलित वोटरों तक अपनी रीच बनाई थी. हालांकि टम्टा प्रभावी मंत्रियों में से नहीं रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद टम्टा मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल नहीं किए गए. इनकी जगह ब्राह्मण जाति के निशंक को जगह दी गई. अब अगर तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल में जगह पाते हैं तो यह भाजपा की जातीय स्ट्रैटजी का हिस्सा माना जाएगा.
[ad_2]
Source link