उत्तराखंड

भारत क्यों नहीं आ सकीं Moderna और Pfizer की Vaccines, नीति आयोग के सदस्य ने बताई वजह

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नई दिल्ली: नीति आयोग (Niti Aayog) के सदस्य डॉ वीके पॉल (Dr VK Paul) ने शुक्रवार को कहा कि फाइजर के एमआरएनए कोविड-19 वैक्सीन (Pfizer’s mRNA Covid-19 vaccine) को भारत में नहीं लाया जा सकता, क्योंकि यह फार्मास्युटिकल कंपनी क्षतिपूर्ति और संप्रभु प्रतिरक्षा में छूट चाहती है, जबकि मॉडर्ना ने भी क्षतिपूर्ति वाली शर्त में छूट देने की मांग की है.

फाइजर और मॉडर्ना (Pfizer and Moderna) को क्षतिपूर्ति नियमों में छूट दिए जाने का मतलब होगा कि उनके टीकों को लगवाने के बाद किसी भी दुर्घटना या प्रतिकूल प्रभाव के मामले में इन दोनों फार्मास्युटिकल कंपनियों की कोई जिम्मेदारी व जवाबदारी नहीं होगी. साथ ही, सॉवरेन इम्युनिटी वेवर इन फर्म्स को नुकसान के लिए कोई भी भुगतान करने के लिए राष्ट्रीय संपत्ति तक पहुंचने का अधिकार देगा.

डॉ वीके पॉल केंद्र सरकार की ओर से इन वैक्सीन निर्माता कंपनियों के साथ बातचीत की पहल की अगुवाई कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इन कंपनियों के वैक्सीन को देश में लाने के लिए और अधिक तरीके खोजने की कोशिश की, जो कोरोना महामारी से लड़ने की उम्मीद के रूप में सबसे पहले दुनिया भर में सुर्खियों में आए.

एक पैनल डिस्कसन के दौरान दर्शकों को संबोधित करते हुए, डॉ वीके पॉल ने कहा, “मॉडर्ना क्षतिपूर्ति नियमों से छूट की मांग कर रही थी, जबकि फाइजर क्षतिपूर्ति और संप्रभु प्रतिरक्षा छूट दोनों के लिए कह रही थी.” उन्होंने बताया कि केंद्र ने बहु-स्तरीय वार्ता में तीनों वैक्सीन निर्माताओं फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन को भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर अनुसंधान और विकास गतिविधियों को बढ़ाने और उत्पादन शुरू करने के लिए आमंत्रित किया था.

डॉ पॉल ने कहा, “हमें बताया गया कि ये कंपनियां जुलाई 2021 की तीसरी तिमाही में हमारे निमंत्रण पर विचार करेंगी. जॉनसन एंड जॉनसन भारत में अपनी वैक्सीन का उत्पादन शुरू करने के लिए एक भारतीय फर्म के साथ सहमति पर भी पहुंचा था.” केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया, जो डॉ पॉल के साथ मंच साझा कर रहे थे, ने आगे बताया कि कैसे केंद्र सरकार के विदेशी वैक्सीन निर्माताओं को समझाने के प्रयासों ने स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने के विचार को मजबूत किया.

डॉ पाल और मंत्री मंडाविया ने कहा कि कड़े प्रावधानों के बावजूद, कंपनियों के पास पेशकश करने के लिए टीके की बहुत कम मात्रा है. “जबकि बड़ी कंपनी हमें $ 7 की कीमत के लिए सिर्फ 50 मिलियन या 5 करोड़ टीके की पेशकश कर रही थी, दूसरे ने 70 लाख खुराक की पेशकश की.” फाइजर, मॉडर्ना से बड़ी कंपनी है, जैसा कि डॉ पॉल ने उनका नाम लिए बिना संकेत दिया था.

उन्होंने कहा कि भारत विदेशी वैक्सीन निर्माताओं के लिए दरवाजे खोलने के लिए तैयार है और उनकी मांग पर क्लिनिकल परीक्षण के नियमों में ढील दी गई है. डॉ वीके पॉल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ”ए नेशन टू प्रोटेक्ट— लीडिंग इंडिया थ्रू द कोविड क्राइसिस” की लॉन्चिंग के मौके पर यह बातें कहीं.

Tags: Covid vaccine, Covid-19 Crisis, Niti Aayog

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