आर्थिक परेशानियां या राजनीति: आंदोलनरत किसानों पर CM अमरिंदर को गुस्सा क्यों आया?
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स्वाति भान
नई दिल्ली. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा आंदोलनरत किसानों को लेकर नाराजगी प्रकट करने पर पार्टी सरकार में कोई लोग आश्चर्यचकित हैं. अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या आर्थिक दिक्कतों के अवाला भी कोई वजह थी, जिसकी वजह से सीएम अमरिंदर ने ऐसी प्रतिक्रिया दी!
इस बयान को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने कैप्टन अमरिंदर पर बीजेपी के साथ मिलीभगत का आरोप लगा डाला है. हरसिमरत कौर बादल ने कहा-वो बीजेपी के स्वतंत्र फौजी हैं. इसी तरह आम आदमी पार्टी की तरफ से भी कहा जा रहा है कैप्टन अमरिंदर अब बीजेपी की बी टीम हैं.
लेकिन आखिर वो कौन सी बात है जिसकी वजह से कैप्टन अमरिंदर ने किसान नेताओं पर सीधा बयान दे डाला? विशेष तौर पर ऐसी स्थिति में जब विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीनों का वक्त बाकी है. हालांकि आंदोलन की वजह से आर्थिक नुकसान को मुख्य कारण बताया गया है लेकिन सीएम के बयान को राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है.
दरअसल आथिक नुकसान की बातें कैप्टन अमरिंदर के दिमाग में मार्च 2020 के बाद से ही हैं जब बीसीसीआई ने मोहाली स्टेडियम को इंडियन प्रीमियर लीग से बाहर कर दिया था. तब राज्य कोरोना के बढ़ते मामलों का भी जिक्र आया था लेकिन मुंबई के स्टेडियम को चुना गया जबकि मुंबई में कोरोना की स्थिति शुरुआत से बिगड़ती रही है. इसी के बाद बीसीसीआई के फैसले पर भौहें तन गईं. तब यह माना जाने लगा कि किसान आंदोलन का बीसीसीआई के निर्णय में बड़ा रोल हो सकता है.
सीएम अरिंदर को लगा कि आर्थिक नुकसान तो होगा ही साथ ही छवि को भी बट्टा लगेगा. उन्होंने बीसीसीआई को समझाने की नाकाम कोशिश की. इसके बाद किसान आंदोलन बढ़ता रहा और दिल्ली, हरियाणा सहित पंजाब में 113 जगहों पर नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन जारी रहा. मामले की समझ रखने वालों का मानना है कि सीएम के गुस्से की वजह राजनीतिक कारण भी हो सकता है. सूत्रों का कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा की लीडरशिप में विवाद की खबरों से कैप्टन अमरिंदर नाराज थे. हालांकि किसान मोर्चा ने साफ किया कि विवाद अराजनीतिक है. लेकिन गुरनाम सिंह चरूनी जैसे नेताओं ने स्टेटमेंट दिया कि किसानों को चुनाव लड़ना चाहिए. इससे भी सीएम में नाराजगी थी.
पार्टी सूत्रों का कहना है-मुख्यमंत्री का मानना है कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे राजनीतिक ताकतें हो सकती हैं. और ये ताकतें चाहती हैं कि राज्य सरकार की छवि खराब हो. सीएम के नजदीकी नेताओं को ये भी डर है कि अगर धरने लगातार चलते रहे तो चुनाव के वक्त इन्हें विरोधी रुख की तरफ भी मोड़ा जा सकता है. पार्टी के सीनियर नेता का कहना है कि भले ही किसान नेता आंदोलन के अराजनीतिक होने की बात कह रहे हों लेकिन इसके जरिए विपक्षी पार्टियां इन्हें राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही हैं.
(ये स्टोरी मूल रूप में अंग्रेजी में प्रकाशित हुई है. इसे यहां क्लिक कर पूरा पढ़ा जा सकता है.)
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