उत्तराखंड

COVID-19: कोरोना महामारी से जूझ रहे छोटे देशों के लिए क्यों उम्‍मीद बन सकती है यह दवा

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नई दिल्‍ली. दुनियाभर में अब भी कोरोना वायरस कहर (Coronavirus) बरपा रहा है. दिनोंदिन इसके नए वेरिएंट (COVID-19 Variants) सामने आने से लोगों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में सभी देश लोगों के टीकाकरण (Corona Vaccination) पर जोर दे रहे हैं. इस बीच मर्क एंड कंपनी (Marck and Company) की कोरोना की दवा को इस महामारी से निपटने में निर्णायक माना जा रहा है. इसे उन विकासशील देशों में पहुंचाने के प्रयास भी तेज हो रहे हैं, जिन्होंने अपनी आबादी का टीकाकरण करने के लिए संघर्ष किया है.

कंपनी के एक्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर फिलीप ड्यूनटन का कहना है कि ऐसी आशा है कि वैश्विक स्‍वास्‍थ्‍य एजेंसी यूनिटेड और उसके सहयोगी अगले हफ्ते तक एक करार कर सकते हैं. ताकि मध्‍य आय वाले देशों में कोरोना महामारी के इलाज के लिए इसकी पहली सप्‍लाई शुरू हो सके. उनका कहना है कि यूनिटेड कंपनियों के साथ इस संबंध में विचार विमर्श कर रही है.

फिलीप का कहना है , ‘वास्तव में यह वही है जिसका हमने इन सभी महीनों में इंतजार किया है. यह लोगों के इलाज के लिए आशा की एक खिड़की है. अब हमें सामूहिक रूप से कम संपन्‍नता वाले देशों के लोगों के लिए काम करने की जरूरत है.’

अगर नई दवा बाजार में आती है, तो यह कोरोना महामारी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. लेकिन अभी इसकी वैश्विक सप्‍लाई को लेकर तस्‍वीर धुंधली है. कोरोना वैक्सीन के मोर्चे पर कम आय वाले देश पीछे रह गए हैं. कोविड वैक्‍सीन के आने के लगभग 9 महीने बाद 55 से अधिक देशों ने अभी तक अपनी 10 फीसदी आबादी का टीकाकरण नहीं किया है. करीब दो दर्जन से अधिक देशों का यह आंकड़ा 2 फीसदी का है.

शुक्रवार को मर्क और उसकी सहयोगी कंपनी रिजबैक बायोथेराप्‍यूटिक्‍स एलपी ने दावा किया है कि मोलनुपिराविर नामक इस दवा के जरिये अस्‍पताल में भर्ती होने या मौत होने की आशंका को 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है.

इस दवा के परीक्षण के नतीजे इतने सकारात्मक थे कि मर्क और रिजबैक मरीजों का नामांकन बंद करके नियामक मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए चुने गए. मर्क दुनिया भर के अन्य नियामकों को भी नतीजे के आंकड़े भेजने की तैयारी कर रही है.

कंपनी ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की थी कि उसने भारत में 5 जेनेरिक निर्माताओं के साथ दवा के लिए नॉन एक्‍सक्‍लूसिव लाइसेंसिंग एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि स्थानीय नियामक एजेंसियों द्वारा अनुमोदन या आपातकालीन इस्‍तेमाल के बाद 100 से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में उपलब्धता में तेजी लाई जा सके.

मर्क कंपनी का कहना है कि इस साल के अंत त‍क इस दवा की 1 करोड़ उत्‍पादन क्षमता करने योजना है. इसके साथ ही 2022 में इसका उत्‍पादन और अधिक बढ़ाने का लक्ष्‍य है. जून में कंपनी ने अमेरिकी सरकार से 1.2 अरब डॉलर की डील की थी, इसके तहत कंपनी इलाज के लिए 17 लाख दवा के कोर्स मुहैया कराएगी.

दवा की कीमत को लेकर कंपनी का कहना है कि इसकी कीमत को वर्ल्‍ड बैंक इनकम श्रेणी के आधार पर तय करने की योजना है. ताकि देश इसे पाने में समर्थ हो सकें.

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