क्या ‘स्वास्थ्य मंत्री’ के जरिए उत्तराखंड में जड़ें मजबूत कर रही बीजेपी? समझें सियासी मायने
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उत्तराखंड में साढ़े 4 साल में पहली बार राज्य को अलग स्वास्थ्य मंत्री मिला. कोरोना काल में बेहद अहम स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी डॉ. धन सिंह रावत (Health Minister Dr. Dhan singh Rawat) को दी गई. अब चुनाव से पहले 4 महीने में 600 हेल्थ कैम्प लगाने की बात हो रही है. तो सवाल है कि क्या स्वास्थ्य के बहाने सियासत साधने की कोशिश की जा रही है?
सरकार का दावा
उत्तराखंड में 16 महीने में हजारों परिवार कोविड की मार झेल चुके हैं. तब तो अलग स्वास्थ्य मंत्री मिला नहीं और अब नए स्वास्थ्य मंत्री को कम वक्त में सेहत भी सुधारनी है और सियासत भी साधनी है. इसलिए आने वाले महीनों में आपको अपने विधायक अस्पताल, मेडिकल कैम्प और वैक्सीनेशन सेंटर पर मिल सकते हैं. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि पूरे प्रदेश में सितंबर से दिसंबर तक 600 मेडिकल कैम्प लगेंगे, जहां विधायकों की ड्यूटी लगेगी. वहीं 100 वैक्सीनेशन सेंटर में जाने के साथ और 5 अस्पतालों में सफाई और दवाई की व्यवस्था भी विधायक देखेंगे.
उत्तरराखंड में हेल्थ सिस्टम की हालत किसी से छिपी नहीं है. कोरोना से मौत के मामले में राज्य दूसरे नंबर पर रहा. ऐसे में मेडिकल कैंप से क्या सुधरेगा, ये वक्त बताएगा. हालांकि कांग्रेस इसे इलेक्शन कैम्प बता रही है.
स्वास्थ्य मंत्री के सामने क्या है चुनौती
नए स्वास्थ्य मंत्री को अभी विभाग को समझने में वक्त लगेगा. कोविड की तीसरी लहर का खतरा सिर पर मंडरा रहा है. ऐसे में मेडिकल कैंप से सेहत और सियासत को ठीक करने की कोशिश कितनी कामयाब होगी, ये 2022 का चुनाव बताएगा.
पिछले दिनों तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड के सीएम के संभावित चेहरों में शामिल रहे धन सिंह रावत को स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री के रूप में धामी कैबिनेट में खासा कद मिला है. अधिसूचना की मानें तो रावत के पास वो सभी विभाग भी हैं, जो तीरथ सरकार के समय उनके पास थे.
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