उत्तराखंड

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सीबीआई ने कुछ नहीं किया जबकि हमें इसके रवैये में बदलाव की उम्‍मीद थी

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नई दिल्‍ली. जजों को धमकी देने की शिकायतों पर संतोषजनक जवाब नहीं देने पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (CBI) और खुफिया ब्‍यूरो (Intelligence Bureau) पर कड़ी नाराजगी जताई है. मुख्‍य न्‍यायाधीश एनवी रमना (NV Ramana) और न्‍यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने सीबीआई के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, सीबीआई ने कुछ नहीं किया जबकि हमें इसके रवैये में बदलाव की उम्‍मीद थी.

मुख्य न्यायाधीश की ओर से ये टिप्‍पणी तब आई है जब सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के अतिरिक्‍त जिला न्‍यायाधी उत्‍तम आनंद की हत्‍या के मामले में न्‍यायाधीशों और अदालतों की सुरक्षा केमुद्दे पर स्‍वत: संज्ञान लिया है. चीफ जस्टिस रमना ने भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि देश के न्‍यायाधीशों पर न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी हमला किया जा रहा है. व्‍हाट्सएप पर धमकी देकर और डराने वाले संदेश भेजकर सोशल मीडिया पर उस पोस्‍ट को भी प्रसारित किया जा रहा है.

मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि कुछ जगहों पर तो इस तरह के मामलों में सीबीआई जांच के भी आदेश जारी किए गए हैं. सीजेआई ने इस दौरान पिछले साल आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से जारी किए गएआदेश का भी जिक्र किया, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर धमकी भरे पोस्ट की सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था.

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मुख्‍य न्‍यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल से कहा, एक या दो जगहों पर अदालतों ने इस तरह के मामलों पर सीबीआई जांच के आदेश भी दिए है लेकिन दुख की बात है कि सीबीआई ने अब तक इन मामलों में कुछ नहीं किया है. हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ है. हमें यह देखकर दुख होता है. सीजेआई ने कहा कि प्रतिकूल आदेश पारित होने पर न्‍यायाधीशों को बदनाम करने का एक नया चलन शुरू हो चुका है. न्‍यायाधीशों की शिकायतों के बावजूद सीबीआई और आईबी की ओर से न्यायपालिका की कोई मदद नहीं की जाती है.

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पीठ ने झारखंड के न्यायाधीश की मौत की जांच में प्रगति के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए सोमवार, 10 अगस्त को सीबीआई को उपस्थित होने को कहा है. पीठ ने 2019 में दायर एक याचिका पर भारत सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें न्यायाधीशों और अदालतों के लिए एक विशेष सुरक्षा बल की मांग की गई थी. इस याचिका को स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्‍य न्‍यायाधीश ने इस मामले को सूचीबद्ध किया है. CJI ने कहा कि हालांकि याचिका 2019 में दायर की गई थी, केंद्र ने अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है. मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्‍त को होगी.

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