उत्तराखंड

विश्व भारती यूनिवर्सिटी: 11 फैकेल्टी सस्पेंड, स्टूडेंट रेस्टिकेट; हाईकोर्ट बोला- क्लास में शामिल होंगे छात्र

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कोलकाता. पश्चिम बंगाल (West Bengal) स्थित शांतिनिकेतन (Shanti Niketan) में विश्व-भारती विश्वविद्यालय (visva bharati university)  में  पिछले15 दिनों से प्रदर्शनों का दौर जारी है. 23 अगस्त को तीन छात्रों के निष्कासन पर यह विरोध प्रदर्शन शुरू किए गए. हालांकि कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को उन्हें कक्षाओं में फिर से शामिल होने की अनुमति दी.जज जस्टिस राजशेखरन मंथा ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि तीन वर्षों के लिए छात्रों को निष्कासित करना कठोर और हद से ज्यादा है. अदालत ने कहा कि छात्रों को कक्षाओं में जाने की मंजूरी दी जाती है. हाईकोर्ट ने तीन सितंबर को एक अन्य अंतरिम आदेश में कहा था कि संस्थान के 50 मीटर के दायरे में कहीं भी प्रदर्शन नहीं किया जाए. आदेश में पुलिस को कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के आवास के बाहर चल रहे सभी प्रदर्शनों को समाप्त करने तथा बैनर, अवरोधक आदि हटाने का भी निर्देश दिया गया.

अदालत ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय में सामान्य गतिविधियां तत्काल बहाल कराने के लिए निर्देश दिए. इसबीच प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने अदालत का आदेश आने के बाद अपना अनशन समाप्त कर दिया. निष्कासित किए गए तीन छात्रों में से एक सोमनाथ सॉ ने कहा,‘हम खुश हैं, लेकिन कुलपति की अलोकतांत्रिक गतिविधियों के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा.’ उन्होंने कहा,‘हमारा करियर बच गया, न्यायपालिका का आभार है.’ कुलपति के आधिकारिक आवास से 60 मीटर से अधिक दूरी पर अनशन पर बैठे विश्वभारती विश्वविद्यालय फैकल्टी संघ के पदाधिकारी सुदीप्तो भट्टाचार्य ने संगीत विभाग के एक अन्य छात्र के साथ अपना अनशन समाप्त कर दिया.

क्या है मामला?
दरअसल, अक्टूबर 2018 में कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के कार्यभार संभालने के बाद से शिक्षकों और छात्रों दोनों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. फैकल्टी मेंबर्स असामान्य रूप से बड़ी संख्या में किए जा रहे सस्पेंशन पर सवाल कर रहे हैं. नवंबर 2019 से 22 स्टाफ मेंबर्स – 11 फैकल्टी मेंबर्स, 11 नॉन टीचिंग स्टाफ को निलंबित कर दिया गया है और 150 से अधिक कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.

निलंबित शिक्षकों में से कुछ ने कहा कि उन्हें केंद्रीय विश्वविद्यालय में कथित अनियमितताओं के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने सहित विभिन्न कारणों से कार्रवाई का सामना करना पड़ा. दूसरों ने आरोप लगाया कि उन्हें काम करने में लापरवाही बरतने और वित्तीय अनियमितताओं सहित कथित आरोपों पर निलंबित कर दिया गया था. पांचों ने अपने निलंबन को अदालत में चुनौती दी है.

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व-भारती विश्वविद्यालय संकाय संघ (वीबीयूएफए) के अध्यक्ष सुदीप्त भट्टाचार्य ने कहा ‘विश्वविद्यालय ने मुझे एक महिला सहकर्मी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए निलंबित कर दिया. यह निराधार आरोप है. हममें से कुछ लोगों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद , प्रधानमंत्री और  विश्व भारती के कुलाधिपति नरेंद्र मोदी नरेंद्र मोदी, और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को कुलपति के खिलाफ एक ई-मेल किया था. ये ऐसे अपराध नहीं हैं जिसके लिए निलंबन किया जाए.’

VBUFA के अध्यक्ष सुदीप्त भट्टाचार्य ने स्वीकार किया कि निलंबित प्रोफेसरों में से कुछ के खिलाफ आरोप सही हो सकते हैं. भट्टाचार्य ने कहा ‘यह जांच का विषय है कि क्या सभी दोषी हैं  लेकिन उनमें से बड़ी संख्या में गलत तरीके से निलंबित कर दिया गया है.’

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